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________________ *श्री लंबे समाजका इतिहास * लिङ्ग महादेव का कथन से षट्मतपोषक होने सके हैं, इन्हीं सामन्त सिंह से कीर्तृ (कीर्तिपाल) चोहान राजा ने उदयपुर राज्य छीना चित्तोड़ उदयपुर का राज्य किया । इनके लिये ऐसा लिखा है कि यह की मेवाड़ का पड़ोसी और नाडोल ( जोधपुर राज्य के गोड़वाड़ जिले में), के चोहान राजा अल्हण देव का तीसरा पुत्र था । साहसी वीर एवं उच्चाभिलाषी होने के कारण अपने ही बाहुबल से जालोर (काश्चनगिरि सोन गढ़) (लावाँ आर सेन गढ़ के कारण लॅब (लम) काञ्चन देश भया। लाँबा से सोन गढ़ तक) जालोर सेान गढ़ का राज्य परमारों से छीन कर वह चोहानों की सोनगरा शाखा का मूल पुरुष आर स्वतंत्र राजा हुआ। सिवाणे का किला (जोधपुर राज्य में ) भी उसने परमारों से छीन कर अपने राज्य में मिला लिया था। चोहानों के शिला लेखों और ताम्रपत्र में (ताम्रपत्र यन्त्र को कहते हैं। ये यन्त्र की प्रथा जैनियों में ही पाई जाती है, इससे जैनत्व स्पष्ट है ) कीर्तृका नाम ( कीर्तिपाल ) मिलता है। परन्तु वह राजपूताने में कीर्तृ के नाम से प्रसिद्ध है। जैसा कि मुहणोत नैणसी की
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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