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*श्री लवेध समाजका इतिहास तेतीस तो जिन मंदिर नवीन कराये २६००० जीर्णोद्धार कराये।
१८६६००० इतनी दीनार (मुहर ) सोने का सिक्का सेतुञ्जय खची १८३०००० इतनी दीनार आवृशिखर पर खर्ची, ५३००००० दीनार गिरनार खर्ची, १५५००० इतनी दीनार शास्त्रजी में खर्ची १५५५००० और संघ में खर्जी ५२६ मन्दिर विष्णु के शिवके बनवाये । याही समय में लघुद्धि जाति भये । सम्बत् १२४१ श्री चन्द्रवघर वाल हुआ। १२४८ पद्मकीर्ति परवार, सं० १२५३ वर्द्धमान बदनोरा, सं० १२५६ अकलङ्क चन्द परवार, सं० १२५७ ललित कीर्ति लँम्बेचू, सं० १२६१ केशवचन्द श्रावक, सं. १२६२ चारुकीर्ति पञ्चम, सम्बत् १२६४ अभय कीर्ति पोरवाड़, सं० १२६५ बसन्त कीर्ति पोड़वार एता पट्टगोपाचल (गवालियर ) हुआ, सं० १२६६ तक श्री गोपाचल पर सुप्रतिष्ठ केवली मोक्ष गये हैं। सो निर्वाणभूमि है। किलेपर से वसन्त कीर्ति विराजमान रहै । प्रख्यातकीर्ति पञ्चम संवत् १२६८ विशाल कीर्ति छावड़ा, सं० १२६६ श्रुभकीर्ति गोधा सं० १२७१, धर्मचन्द सेठी,