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१४६ भी लॅबेचू समाजका इतिहास : पट्ट सिरोजपुर में हुआ। सम्बत् ११४० में माषचन्द पञ्चम, सम्बत् ११४४ ब्रह्मनन्दि बदनोरा, सम्बत् ११४६ शिवनन्दि सहजवाल, सम्बत् ११५५ विश्वचन्द्र वदनोरा, सम्बत् ११५६ हरिनन्दि काम्भोज, सम्बत् ११६० भावनन्दि धूसर, सम्वत् ११६७ सूरकीर्ति धाकड़, संवत् ११७१ विद्याचन्द्र हुपट ( हुंमड़ ), संवत् ११७६ सूरचन्द्र नृसिंहपुरा, संवत् ११८४ माघनन्दि चतुर्थ, संवत् ११८६ ज्ञाननंदि पञ्चम एता पट्ट वारा ( बड़ोदा) हाड़ोनो में हुआ। संवत् ११८६ गंगकीर्ति बदनोरा, संवत् १२०६ सिंहकीर्ति नृसिंहपुरा, सम्बत् १२०८ हेमकीर्ति हुंमड़, सम्बत् १२१६ चारुकीर्ति सहजवाल, सम्बत् १२२३ नेमिनंदि नागद्रा, सम्वत् १२३० नाभिकीर्ति नैगम, सम्बत् १२३२ नरेंद्रकीर्ति नागद्रा एता चित्रकूट चितोरा में हुआ। देश मेवाड़ में तहाँ नरेंद्रकीर्ति वारे धौलपुर का स्वामी वीर धवल राजा ताके मन्त्री पोड़वार स्वेताम्बर तेजपाल वसुपाल षट्मतका पोषक पग निधान हुआ। जिसने ३६ वर्ष की अवस्था में महाराज्यमान होय "एक लक्ष पञ्चीस हजार" धातुके विम्ब भराये । एक हजार