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विकार - विजित तजित - शोक,
विबोध-सुनेत्र-विलोकित लोक । विहार विराव विरङ्ग विमोह,
प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ॥ रजोमल - खेद - विमुक्त विगात्र,
निरन्तर नित्य सुखामृत-पात्र । सुदर्शन - राजित नाथ विमोह,
प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ॥ नरामर - वन्दित निर्मल भाव,
अनन्त-मुनीश्वर-पूज्य विहाव । सदोदय विश्व महेश विमोह,
प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ॥ विदम्भ वितृष्ण विदोष विनिद्र,
परापर शङ्कर मार वितन्द्र । विकोप विरूप विशङ्क विमोह,
प्रसोद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ॥ जरा - मरणोज्झित वीत -विहार,
विचिन्तित निर्मल निरहंकार । अचिन्त्य - चरित्र विदर्प विमोह,
प्रसोद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ॥ विवर्ण विगन्ध विमान विलोभ,