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सत्सम्यक्त्व - विबोध-वीर्यं विशदाव्याबाधताद्यैर्गुणं, युक्तांस्तानिह तोप्टवीमि सततं सिद्धान् विशुद्धोदयान् ॥ १३ (पुप्पाञ्जलि क्षिपामि)
जयमाला
विराग सनातन शान्त निरंश,
सुधाम विबोध-विधान विमोह,
प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह | विदूरित संमृति भाव निरङ्ग, समामृतपूरित देव विसङ्ग ।
अबन्ध कषाय विहीन विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध- समूह |
निवारित दुष्कृत कर्म विपाश,
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निरामय निर्भय निर्मल हस ।
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B
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सदामल - केवल - केलि निवास ।
भवोदधि- पारग शान्त विमोह,
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प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह |
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अनन्त - सुखामृत सागर धीर,
कलङ्क - रजो - मल-भूरि-समीर । विखण्डित काम विराम विमोह,
प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह |