________________
११८
पिता घर सौंप गये निज धाम,
कुबेर करे वसु जाम जु काम । वढ़ें जिन दूज मयंक समान,
रमैं बहु बालक निर्जर आन ॥ भये जब अष्टम वर्ष कुमार,
धरे अणुव्रत महा सुखकार । पिता जब आन करी अरदास,
करो तुम व्याह वरो मम आस ।। करो तब नाहिं रहे जगचंद,
किए तुम काम कषायजु मंद । चढ़े गजराज कुमारन संग, सु देखत गंगतनी सुतरंग ॥ लख्यो इकरंक करे तप घोर,
चहूं दिस अग्नि बले अतिजोर । कही जिननाथ अरे सुन भ्रात,
करे बहु जीवतनी मत घात ॥ भयो तब कोप कहै कित जीव,
जले तब नाग दिखाय सजीव | लख्यो यह कारण भावन भाय,
नये दिव-ब्रह्म ऋषी सब आय ॥ तब सुर चार प्रकार नियोग,