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छंद चौबोला
आठौं दरब मिलाय गाय गुण, जो भवि-जन जिन चंद जजें । भव-भवके अघ भाजें, मुक्तिसार सुख ताहि सजें ॥ जमके त्रास मिटें सब ताके,
ताके
सकल अमंगल दूर भजें । वृन्दावन ऐसो लखि पूजत,
जातैं शिवपुरि राज रजें ॥ ( इत्याशीर्वादः परिपुष्पाञ्जलि क्षिपामि )
श्री शांतिनाथ जिन-पूजा
[ श्री बख्तावरसिंह रतनलाल ] सर्वार्थ सुविमान त्याग गजपुर में आये । विश्वसेन भूपाल तास के नन्द कहाये || पंचम चत्री भये दर्प द्वादश में राजें । मैं सेऊँ तुम चरण तिष्ठिये ज्यों दुख भाजें ॥
ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौपट् । ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजनेन्द्र ! अव मम सन्निहितो भव भव वपट्