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सेवा, सरलता एवं सौम्यता की प्रतिमूर्ति, आदर्श श्रावकरन एवं संघनिष्ठता के प्रतीक
सेठ श्रीमान् चम्पालालजी वांठिया
को मरणोपरान्त सादर समर्पित "समाज-भूषण'
-: सम्मान-पत्र :मीय
अदम्य उत्साह, स्फूर्ति एवं जीवट से ओत-प्रोत आपका जीवन जन-जन के लिए प्रेरक एवं स्मरणीय है। सनी व्यक्तित्व एवं प्रखर प्रतिभा द्वारा आपने समाज की प्रगति के लिए जो कार्य किये, वे स्तुत्य एवं अनुकरणीय है।
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मार श्रावक!
अपने उदात्त, सात्विक एवं मर्यादित रहकर आदर्श श्रावक का सागार धर्म पूर्ण आस्थापूर्वक निर्वहन किया। दिनार एवं व्यवहार में आप सदैव सहज रहे। भौतिक समृद्धि में भी आप निर्लिप्त एवं अप्रमत्त रहकर आत्माभिमुख अमीन वैभव प्रदर्शन की प्रवृत्ति रही और न बाह्य आडम्बर के प्रति आसक्ति।
तत्कालीन बीकानेर नरेश एवं अनेक संस्थाओं से सम्मानित/अभिनंदित होकर भी आप अहं से दूर ही रहे। एवं विशाल हदयता ही आपके जीवन पाथेय रहे। आपने उद्योग-व्यापार, नगरपालिका, न्याय एवं वैधानिक क्षेत्रों में नुत किया तो धार्मिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहकर कीर्तिमानीय कार्य भी किए।
श्लाघनीय है आपकी दूरदर्शिता कि आपने तत्कालीन आलोचनाओं एवं विरोध के बावजूद भी बाल दीक्षा थपक प्रस्तुत करने का साहस किया, जिसकी उपादेयता आज भी प्रासंगिक है।
मेया के प्रतीक!
!:विद्यालय, जवाहर विद्यापीठ, पाप
न को लोकप्रिय नेतृत्व भी प्रदान ।
का प्रसार, सेवा एवं स्वावलम्बन के क्षेत्रों में अनेक संस्थाओं-जवाहर हाई स्कूल, बांठिया बालिका उमा चालय, जवाहर विद्यापीठ, पौषधशाला धार्मिक ट्रस्ट की स्थापना कर आपने लोक कल्याण कार्यो का गोताल
का लोकप्रिय नेतृत्व भी प्रदान किया। श्रीमद जवाहराचार्य की वाणी को कालजयी बनाने हेतु जवाहर " प्रकाशन साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर है।
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नीमुखी सेवाओ
पार्दिक रूप में आज आप विद्यमान भले ही नहीं,
म आज आप विद्यमान भले ही नहीं, आपके कार्य समाज को सर्वदा अनुप्रेरित करने नमुखा सेवाओं के लिए हम आभारी हैं एवं सादर नमन सहित 'समाज भूषण' पदवी में सम्म
श्री जवाहा कि