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पौपधशाला, धार्मिक ट्रस्ट, आदि को आपने समाज के लिए समर्पित कर दिया। इस स्तुत्य कार्य हेतु उन्हें सदैव याद करता रहेगा । श्वे. साधुमार्गी जैन हितकारिणी संस्था, बीकानेर, नगर पालिका, बीकानेर व्यापार संघ आदि संस्थाओं के अध्यक्ष रूप में आपकी सेवाएं अविस्मरणीय हैं।
सार्वजनिक व रचनात्मक कार्यों में भी आपका अपूर्व योगदान रहा है । भीनासर में मीठे पानी के दो हुई छा निर्माण कराकर आपने जन-जन का आशीष पाया है। आज तो वाटर वर्क्स द्वारा यह कार्य सम्पन्न किया रहा है परन्तु ४० - ५० वर्ष पूर्व इन कुओं का विशेष महत्व था। वर्षों तक आपने ऑनरेरी मजिस्ट्रेट एवं इंजनेर राज्य के विधान सभा सदस्य रूप में ऐतिहासिक सेवाएं प्रदान कीं । आपकी सेवाओं का उल्लेख बीकानेर जुबली ग्रन्थ व हूज हू पुस्तक में भी किया गया है ।
आपको समाज द्वारा सम्मानित व अभिनन्दित भी किया गया । तत्त्कालीन बीकानेर नरेश श्री गंगासिंह ★ द्वारा उन्हें पब्लिक सर्विस मैडल फर्स्ट क्लास से सम्मानित किया गया तथा चांदी की छड़ी व चपड़ास प्रदान की ई। उन दिनों पैर में सोना पहनने के लिए शाही स्वीकृति आवश्यक थी । महाराजा ने इनके परिवार को पैर में मन पहनने की इज्जत प्रदान की । जैन समाज द्वारा अद्वितीय समाज सेवा के लिए आपको स्वर्ण पदक से धमनित भी किया गया। यही नहीं, अनेक संस्थाओं ने आपका अभिनन्दन भी किया । परन्तु आप अहं से कोसों इ रहे और मान सम्मान को समाज का स्नेह मानकर स्वीकार किया। साधुमार्गी जैन हितकारिणी संस्था द्वारा श्रद्धार्पण पत्र (मरणोपरान्त) प्रदान कर सम्मानित किया ।
अनेक धार्मिक, सामाजिक, सार्वजनिक संस्थाओं को आपने प्रभूत दान देकर 'दानवीर' विशेषण को मईक किया। सार्वजनिक कार्यों में किसी को भी निराश नहीं लौटाते । मुक्त हाथ से लक्ष्मी का सदुपयोग कर उसने स्वयं को लक्ष्मी का सच्चा सेवक सिद्ध किया। ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, प्रतिभापुंज श्री बांठिया सा. ट्रैक समाज के अग्रणी सुश्रावक थे। धर्म के प्रत्येक कार्य में आपने योगदान दिया व जनता के स्वास्थ्य, सफाई, इममूर्ति के लिए पूर्ण सजग रहे। आपके तीनों सुपुत्र सर्व श्री शांतिलालजी, धीरजलालजी एवं सुमतिलालजी भी अपने पिता श्री के समाज-सेवा के आदर्श को अपने जीवन का आदर्श मानकर चल रहे हैं ।
ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, दूरदर्शी, समर्पित समाजसेवी, कलाप्रेमी, समन्वयवादी, प्रगतिशील हद सरलता व सेवा के प्रतीक बांठिया सा. को शतशः वन्दन। श्री जवाहर विद्यापीठ एक जीवन्त स्मारक है जो उन्ही कोर्ति-पताका को युगों तक फहराता रहेगा ।