________________
२४
हिंदी पदार्थ-( नमोत्थु) नमोऽस्तु अर्थात् नमस्कार हो (ण) णं इति-वाक्योपन्यासे ( अरिहंताणं) श्री अरिहंतोंको-इसी प्रकार सर्वत्र जानना, (भगवताणं) भगवंतोंको (आईगराण) धर्मकी आदि करनेवालोंको (तित्थयराणं ) चतुर् श्री संघरूप तीर्थस्थापकोंको, फिर जिनको (सयसंवुद्धाणं) स्वयमेव बोध हुआ है फिर (पुरिमुत्तमाणं ) पुरुषोमें उत्तम (पुरिससीहाणं) पुरुषोंमें सिंह समान वलापेक्षा (पुरिसवर पुंडरीयाण) पुरुषो में पुंडरीक कमल समान निर्लेप ( पुरिस ) पुरुषों में (वर) प्रधान (गंधहत्थीण) गंधहस्ती समान (लोगुत्तमाणं) लोगमें उत्तम (लोगनाहाणं ) लोगके नाथ (लोगहियाणं ) लोगके हितैषी (लोगपईवाणं ) लोगमें प्रदीप समान (लोग: पज्जोयगराणं ) लोगमें परम उद्योत करनेवाले (अभयदयाणं), अभय दान करनेवाले (चक्खुदयाणं) ज्ञानरूपी नेत्रोंके देनेवाले ( मग्गदयाणं) मोसके बतलानेवाले ( सरणदयाण ) सर्व जीवोंको शरणभूत (जीवदयाणं) संयमरूपी जीवनके दाता (बोहिदयाण ) बोध वीनको देनेवाले (धम्मदयागं) धर्मके देनेवाले (धम्मदेसियागं) धर्मका उपदेश करनेवाले (धम्मनायगागं) धर्मके नायक अर्थात् धर्म नेता (धम्मसारहीणं) धर्मरूपी रथके सारथी (धम्मवर) धर्म में प्रधान ( चाउरत) चार गतिके अंत करनेवाले अर्थात् अपनी आत्माको चार गतिसे पृथक् करनेवाले (चक्कवठ्ठीणं)चक्रवर्ती समान (दीवोत्ताण) संसार रूपी समुद्रमें द्वीप समान (सरणगइपइठाणं) शरणागतोंकी वत्सलता करनेवाले ( अप्पडिहय) अप्रतिहत ऐसे ( वर ) प्रधान (नाण) ज्ञान (दसण) दर्शनके (धराण) धरनेवाले (वियह) दूर हो गया है जिनका (छउमाणं) छमस्थभाव अर्थात् कर्म नष्ट हो गये है (निणाणं) और फिर जिन्होंने रागद्वेपको जीता है (जावयाणं) ओरोको रागढपके जीतनेका उपदेश करते है फिर (निनाम) संसाररूपी सागरसे आप तिरे हैं (तारयागं) औरोंको नारते है (बुद्धाणं) आप वुद्ध है (बोहियाणं) आरोंको बोध देते है फिर (मृत्ताणं) आप कहेस मुक्त हुए औरोंको
यह सर्य पद पष्ठपन्त हैं ।
-