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तत्त्वार्थसूत्रे ३५० __यूलम्-तस्थ अणुव्वयाई पंच, थूल-हिंसा-मुसावायतेणिक मेहुण-परिग्गहविरमणभेया ॥२२॥
छाया-ताणुव्रतानि पञ्च, स्थूलहिंसा मृपावाद-स्तैन्य मैथुन-परिग्रहविर प्रणभेदात् ॥२२॥
मूलम्-गुणवयाई तिन्नि, दिसिव्वय-उवभोगपरिभोगपरिलाण अणटूदंडविरमणभेया ॥२३॥
छाया-गुणघ्रतानि त्रीणि, दिग्नतो-पभोगपरिभोगपरिमाणानर्थदण्डविरमण. भेदाम् ॥२३॥ ___ मूलय--सिक्खावयाई चत्तारि, सामाइय-देसावगासियपोलहोववास-अतिहिसंविभागभेया ॥२४॥
तस्थ अणुध्वयाई पंच थूल हिंसा मुसावाय-तेणिक मेहुण-परिगानिश्मणभेया' ॥२२॥
स्त्रार्थ--अणुव्रत पांच है-(१) स्थूल हिंसाविरमण (२) स्थूल मृषाबादविरमण (३) स्थूल स्तेयविरमण (४) स्थूल मैथुन विरमण और स्थूल परिग्रह विरमण ॥२२॥
'गुणव्वयाई तिन्नि, दिसिन्वय उवभोगपरिभोगपरिमाणअणट्ठ दंडविरमणभेया ॥२३॥
सूत्रार्थ--गुणव्रत तीन हैं-दिशाव्रत, उपभोग परिभोग परिमाण और अनर्थदण्ड विरमण ॥२३॥ ' 'सिक्खावयाई चत्तारि, सामाइय-देसावगासिय-पोसहोववास अतिहिसंविभागभेया ॥२४॥
मूलमू-तत्थ अणुव्वयाई पंच थूल-हिंसा-मुसावाय-तेणिक-मेहुणपरिगहविरमणभेया ॥२२॥
सूत्रा-माव्रत पाय छ-(१) स्थूहिसा विरभY (२) स्थूभृषावाह विरम (3) स्थूरतय विरभ (४) स्थूणभैथुन वि२भए मन (५) २थूजપરિગ્રહ વિરમણ. .રરા
मूलम्-गुणव्वयाई तिन्नि, दिसिव्वय-उवभोग परिभोग परिमाण अणटुदंड विरमणभेया २३
સૂત્રાર્થ-ગુણવ્રત ત્રણ છે-દિશાવ્રત, ઉવગ પરિભેગ પરિમાણ અને અનર્થદન્ડ વિરમણ. ર૩
___ मूलम्-सिक्खावयाइं चत्तारी, सामाइय-देसावगामिय-पोसहोववासमतिदिसंविभागभेया २४