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जैनतत्त्वादर्श. '. उत्तर-नवीन वेदांती, नैयायिक, वैशेषिकादि सर्व अज्ञानी थया ले के जे ईश्वरने जगत्कर्ता माने ..
प्रश्न-ईश्वर जगत्ना अथवा सर्व वस्तुना कर्त्ता जे एम जो मानियें तो शुं दूषण के ? :
उत्तर-ईश्वरने जगत्ना कर्ता अथवा सर्व वस्तुना कर्त्ता मानवामां बहु दूषणो आवे .
प्रश्न-बाप अपूर्व वात कहोडो. अमें तो कदी सांजल्युं नथी के ईश्वरने जगत्कर्ता अथवा सर्व वस्तुना कर्ता मानवामां दूषण आवेडे. हवे तो आ ईश्वरने जगत्कर्ता मानवामां शुं शुं दूषणो आवेडे ते केहेवू जोश्ये ?
उत्तर-हे जव्य ! प्रथम तो आप ए बतावो के आप कया ईश्वरने जगत्कर्ता मानोडो? .
प्रश्न-शुं ईश्वर पण कश्क तरेहना , जे आप अमने एम पुगेडो ? ___उत्तर-शुं आप नथी जाणता के बे प्रकारना ईश्वर मतावलंबियोयें मानेला ? एकतो जगत् उत्पत्ति पेहेलां केवल एकज ईश्वर हता; जगत्नां उपादानादि कोश.पण कारण अथवा बीजी वस्तु न होती, एकज शुद्ध बुद्ध सच्चिदानंदादिखरूपयुक्त परमेश्वर हता, केटलाएक जीवोने तो एवा ईश्वर, जगत् वा सर्व वस्तुना रचनार संमत के अने बीजाउने तो १ जीव र परमाणु ३ आकाश ४ काल दिशादि सामग्रीवाला अर्थात् एक तो ईश्वर उपर वर्णवेला विशेषणसंयुक्त-अने जेथी जगत् रचीशकाय एवी बीजी सामग्री-ए बने वस्तु अनादि , एम संमत ; अर्थात् एक तो ईश्वर, अने बीजी जगत् उत्पन्न करवानी सामग्री; ए बंने कोश्ये बनावी नथी एम ते माने. हवेआपने बेमतमांथी कयो मत संमतले.
पूर्वपद-अमने तो प्रथम मत संमत . कारण के वेदादि शास्त्रोमां एम लख्यु -" एतस्मादात्मन आकाशः संनूतः आकाशाहायुः वायोरग्नि रग्नेरापः अङ्ग्यःपृथिवी पृथिव्या उषधयः उषधिन्योन्नमन्नाखेतः रेतसः पुरु षः सवा एष पुरुषोन्नरसमयः" तैत्तिरीय शाखानी श्रुति तथा “सदेव सौम्येदमग्रघासीदेकमेवाद्वितीयं तदैवत बहः स्यां प्रजायेयेति " आ श्रुति बांदोग्य उपनिषद्नी . तथा "ना सदासीनो सदासीत्तदानीन्ना