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________________ ( २४४ ) जैनतत्त्वादर्श. द्वान् कड़े के तमेवातमां या प्रमाणे मूल खाबो. ते प्रमाणे बराबर पोताना जाणवामां धावतां बतां, पोतें कहेला असत्यवादमां कदाग्रह ग्रहण करे, जात्यादि अजिमानथी वारंवार कदेवा बतां न माने, विरुद्ध स्वकपोलकल्पित कुयुक्तियो बनावीने, पोताना कथन करेला मतने सिद्ध करे, वादमा हार पामे तोपण मत मुके नहि. एवा कदाग्रहवाला जीव, श्रतिपापी, तेमज बहुलसंसारी थाय बे एवं मिथ्यात्व प्रायः जे जैनी जैनमतने विपरीत कथन करे बे तेनामां थइ जाय बे. तेवा कदाग्रही गोष्ठामदिल प्रमुख थाय बे. जाष्यकार श्री अजयदेवसूरि नवांगीवृत्तिकारक, नवतत्वप्रकरणना जाध्यमां कहेबे के “गोठा माहिलमाइणं, जं निनिविसितु तयं" श्रादिशब्दथी. बोटिक शिवभूतिने पण या जिनिवेशिक मिथ्यात्ववाला जाणवा. ४ संशय मिथ्यात्व. ते जिनोक्त तत्वमां शंका करवी, जेम के जीव - संख्य प्रदेश बे ? के नथी ? इत्यादि. एवीरीतें सर्व पदार्थमां शंका करवी, तेनाथी जे उत्पन्न याय ते सांशयिक मिथ्यात्व . " तदाह जाष्यकृत् ॥ सांशयिकं मिथ्यात्वं तदशेषया शंकासंदेहो जिनोक्ततत्वे ष्विति ॥ संशय मिथ्यात्व दोवानां कारणो श्री जिननप्रगणि क्षमाश्रमण ध्यानशतकमां लखे बे के. प्रथम तो जैनमत स्याद्वादरूप अनंतनयात्मक बे, ते कारणथी समजवोज कठिन बे, तेमज सप्तजंगीनुं सकलादेशी, विकलादेशी स्वरूप, अष्टपक्ष, सातसें नयस्वरूप, चार निक्षेप, द्रव्य, क्षेत्र, काल, नाव, तथा १ उत्सर्ग, २ अपवाद, ३ उत्सर्गापवाद, ४ अपवादोत्सर्ग, ५ उत्सर्गोत्सर्ग, ६ अपवादापवाद, तथा विधिवाद, चारित्रानुवाद, इत्यादि अनंतनय अपेक्षाए जैनमतनां शास्त्र कथन करेलां बे, ज्यां सुधी जे - पेाथी जे शास्त्रस्वरूप कथन करेलुं बे ते अपेक्षाथी ते स्वरूपने न समजे, त्यां सुधी जैनमतनी यथार्थ समज पामवी अतिकठिन बे, तेवी समजण पामवावास्ते बहुज निर्मलबुद्धि जोइये. ते प्रायःथोडा जीवोने बे, तेमज शास्त्रना अर्थ बतावनारा संपूर्ण विद्धान् गुरु जोइए, ते देखाता नथी इत्यादि निमित्तोथी संशय मिथ्यात्व थाय बे. ५ नाजोग मिथ्यात्व. जे जीवोने उपयोग नथी के धर्म, अधर्म शुं वस्तु बे ? एवा जे विकलें प्रियादि जीव, तेजुने अनाजोग मिथ्यात्व होय ते.
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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