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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
विषय
वोल भाग पृष्ठ
प्रमाण सर्वप्राणभूत जीव सत्वका२६८ १ २८५ ठा ५उ.रसू.४२६-४३० समारंभ न करने से होने वाला पाँच प्रकारकासंयम सर्व प्राण भूत जीव सत्त्व के २६७ १ २८४ ठा ५ उ २ सू ४२६-४३० आरंभ से होने वाला पाँच प्रकार का असंयम सर्ववन्ध
५२ १३० कर्म भा १गा ३५ व्याख्या सर्वरत्न निधि ६५४ ३ २२१ ठा 23 सू६७३ सर्व विरति रूप सामायिकह८३ ७ १०७ भ श.१ ३सू ३७ टी चालेको पोरिसीमादिप्रत्याख्यानोंकीक्याावश्यकता है? सर्वविरतिसाधुके३मनोरथम १६४ टा.३७.४सू २१० सर्व विरति सामायिक १६० १ १४४ विशेगा २६७३-२६७७ सर्व विस्तार अनन्तक ४१८ १ ४४२ ठा ५उ.३सू.४६२ सर्वसमाधिप्रत्यय आगार ४८३ २ ६८ श्राव ह अ६ पृ.८५२, प्रवद्वा ४ (पारिसी का आगार)
गा२.३ मर्व स्रोतचारी भिक्षु ४११ १ ४३७ टा ५७.३स ४५३ सपिधि लब्धि ६५४ ६ २६० प्रवद्वा२७. गा १४६२ सहसाकार श्रागार ४८३ २ ६७ भाव ह भ पृ८५२, प्रवद्वा ४ सहस्रारदेवलोककावर्णन ८०८४ ३२३ पनप २ स.५३ सहायताविनयकेचारप्रकार२३६ १ २१७ दशा द ४ मांख्य दर्शन ४६७ २ १४४ सांशयिक मिथ्यात्व २८८१ २६७ कर्म मा ४ गा ११,ध.अधि.२
श्लो.२२टी.पृ.३९