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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, श्राउवों भाग ३१३
बोल भाग पृष्ठ
विषय सम्यक्त्व मार्गणा और भेद ८४६ ५ ५८
सम्यक्त्व सामायिक
१६० १ १४४
सम्यग्ज्ञान
७६ १५७ उत्त
सम्यग्ज्ञान
४६७२ १६८
सम्यग्ज्ञान पर सात गाथा ६६४ ७ १६०
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन
प्रमाण
धर्मभा ४ गा १३
विशे गा २६७३-२६७७ २८, तत्त्वार्थ, ग्रध्या. १ १
७७ ५ ५५ म श ८ २३२०,टा ३सू. १८४ ७६ १५७ उत्तम. २८, तत्वार्थ. मध्या १ १ ४६७ २ १६६
सम्यग्मिथ्यादृष्टिगुणस्थान८४७ ५ ७३
८२२५ ७
सम्यग्दर्शन पर दस गाथा ६६४७१५८
सम्यग्दर्शन सराग के दस ६६४ ३ ३६४ या १० सू. ७४१,१न्न ११सू ३७
प्रकार
कर्म भा २ मा २
न सू ४१, विशे गा १२७ ५३६
सम्यकश्रुत
सयडालकी कथापरपापंड- ८२१ ४ ४६१ नवपद गा १८ टी सम्यक्त्वा -
धिकार
प्रशंसा दोष के लिये
सयोगी केवली गुणस्थान८४७५ ८५
कर्म भा २ मा २ व्याख्या
सरदद्दतलाय सोसण्या ८६०५ १४६ कर्मादान
सू ३३०, वह ६८२८
सराग सम्यग्दर्शन दस ६६४३३६४ हा १०७५१,पन्न १ १ ३७ सर्वअवसन्न(श्रोसन्ना माधु३४७ १ ३५८
भाव हय ३ निगा ११०७ पृ
५१७, प्रयद्वा २ गा १०६
उपाय १ सू७, भश उ
こ
का भेद)
सर्वचारी मच्छ
४१० १४३७ ठाउ ३४५३ सर्वदेशघाती प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३४७ कर्म भा ५ गा १३,१४