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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
विपय
वोल भाग पृष्ठ
ममाण
भरतक्षेत्र के वर्तमान यवस-६२६ ६ १७७मम १५७, माव ६ गा२०६-३६०, पिंरणी के चौबीस तीर्थङ्कर
भाव गंगा २३१-३८८६, सश.,
प्रवद्वा ७ से ४४,
भरतचक्रवती अनित्यभावना ८१२४ ३७८ त्रिप. १६
२४३ नं २७ गा. ६२ टी.
भग्न शिलाकी कथा औत्प- ६४६ ६
त्तिकी बुद्धि पर
भव तेरह भ० ऋषभदेव के २०४४०६ त्रिप. पर्व १
भवनपति देवों के दस
दस अधिपति
{
भवनवासी (भवनपति) ७३० ३४१६ प प १३८, १०३ ३. देव दस
७३६, भग. २७ . ११४,
भवपुद्गल परावर्तन
भवमत्यय अवधि ज्ञान भव सिद्धिक
भव स्थिति
७३१-३४१७
७४० ३ ४२०
६१८ ३ १४०
१३ १ ११
१ ७
भव्यत्व मार्गणा और उसके भेद
ご
भ. ३३८ १६६
३१ १ २२ टा २०३
भव्य भव्य स्त्री पुरुषों में ६५४ ६ २६८ प्रद्वा २०० गा. ११०१ से कितनीलब्धियां हो सकती हैं?
१/०८
ओ प्रति. ३ १ ११४ वर्म भागा ८६.८८
टा २३ १ सु ७१
टाउ ७६ धावा ६६
भव्य जीवोंक सिद्ध हो जाने६१८ ६ १३६ मग.१२३२२४३
पर क्या लोक भव्यों से शून्य
हो जायगा ?
८४६५५८
447,411,611.13