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श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह, पाठवाँ भाग
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विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण १ भव्य द्रव्य देव ४२२ १४४५ ठा सू ४.१, भ श १२3 2 २ भांगिक वस्त्र ३७४ १३८४ ठा ५उ ३ सू ४४६ भांगेसोलहआश्रव आदिके८६८ ५ १६८ भश १६उ.४ सू ६५४ भाडी कम्मे कमोदान ८६० ५ १४५ उपा अ १७,भश ८उ ५सू.
__ ३३०, प्राव हम ६१८२८ भाण्ड (पण्यवस्तु) चार २६४ १ २४६ ज्ञा प्र.८ सू६६ भार प्रत्यवरोहणता विनय२२८ १२१८ दशा द.४ के चार प्रकार भाव
२१० १ १८६ न्यायप्र अध्या ७,रत्ना.परि ४ भाव इन्द्र के तीन भेद १२ १६६ ठा.३३ १सू ११६ भाव ऊनोदरी २१ १ १६ भश २५उ ७सू ८०२ भाव फर्म
७६० ३४४३ श्राचा म २उ १नि गा.१८४ भाव छः
४७४ २८१ अनु सू १२६, ठा ६ उ ३सू
५३७, कर्म भा.४ गा.६४-६६ भावदुःवशय्याके४प्रकार२५५ १ २४० ठा.४उ ३ सू ३२५ भाव देव
४२२ १४४६ ठा ५ सु ४०१, भ श.१२38 भावना अशुभ पाँच ४०१ १ ४२८ प्रवद्वा.७३गा ६४१,उत्तम.३६ भावना चार
१४१ १ १०३ उत्तय ३६गा २६१.२६४ भावना चार
२४६१ २२४ भावना ,क भा २श्लो ३५-५५,च, भावना चार ४६७ २ १८८ भावना छः समफित की ४५४ २ ५८ प्रव द्वा १४८ गा ६४०, ध.
अधि २श्लो २२ टी.१४६ भावना धर्म ११६ ११५६ ध.भधि श्लो.४७ टी पृ १३१
१ मागामी भव में देव होने वाला जीव । २ अलसी का बना हुमा वन ।