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श्री सेठिया जैन प्रन्यमाला
विषय
गा२
बोल भाग पृष्ट प्रमाण बत्तीस विजय ६७१ ७४३ ज.वस ४, लोक भा.२ १, बत्तीस सूत्र ६६६ ७ २१ वधिरोल्लाप का दृष्टान्त ७८० ४ २४१ श्राव ह गा.१३३, पीटिका वचन अननुयोग पर
नि गा.१७१ वन्ध
२५३ १ २३७ कर्म भा २गा १ व्याख्या वन्ध
४६७ २ २०१ वन्ध का स्वरूप समझाने २४८ १ २३२ ठा ४३ २सू २६६, कर्म मा १ के लिये मोदक का दृष्टान्त बन्ध की व्याख्या ओरभेद२४७ १ २३१ ठा ४५ २६ कर्म भा १गा : वन्ध के कारण आठकमांक५६० ३ ४३ भश ८ उ ६ मू३४१ वन्ध के दो भेद ५२ १ ३० कर्म. भा.१ गा ३४ व्याव्या वन्ध के भेद ४६७ २ २०४ वन्ध तत्त्व के चार भेद ६३३ ३ १९७ कर्म भा १गा २,नय ,टा ४ २६ वन्धन करण ५६२ ३ ६५ कम्ग गा २ बन्धनकी व्याख्या और भेद२६ १ १८ ठा २९ ४ र ६६ बन्धन नामकर्म का स्व. ३६० १ ४१५ कर्म भा १गा ३५ र हा : १६ रूप और उसके पाँच भेद
गा.१२७२ बन्धन नामकर्मकेपन्द्रहमंद-५६ ५ १४०र्म भा.१गा.३५,रम्म.गा.टी. वन्धन परिणाम ७५० ३ ४३० ठा 1० ७५३,पर प १३ वन्धन प्रतिघात ४१६१ ४४. ठा: उ.१.१.६ पन्ध मोक्षविषयकगणधर ७७५ ४ ४४ विगे.गा १८०३.१८६ : मंडितस्वामी काशंकासमाधान बन्चाधिकार कर्म प्रक्रतियों-४७ ५८८ कर्म.भा.गा.३-१२
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