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श्री जैन सिद्धान्त घोल संग्रह, अाठवाँ भाग
विषय फूल के चार प्रकार फोडी कम्से कर्मादान
बोल भाग पृष्ठ प्रमाणा १७० १ १२६ ठा. ४उ ४ सृ.३२० ८६० ५ १४५ उपा असू ७,भ श.८३ ५सु.
३३०,भाव ह अ६८२८
वकुश
उत्तय ११
३६६ १३८७ य ५र१.४४५,भ श २५३.६ चकुश के पाँच भेद ३६८ १ ३८३ ठाउ ३ सू.४४५ वत्तीस अस्वाध्याय ४६८ ७ २८ ठा ४३ २ २८५, १०33
सू ७१४ प्रब द्वा २६८गा.१४५०१८७१,व्यव.भा उ ७गा.२६६..
३१६,श्राव ह अ.४गा १३२१-६० बत्तीस उपमा शील की ६६४ ७ १५ प्रश्न धर्मद्वार ४ सू २७ बत्तीस गाथा अकाम मर- ६७२ ७ ४६ उत्त अ५ णीय अध्ययन की बत्तीस गाथा वहश्रत पूजा ६७३ ७ ५१ उत्त अ ११ अध्ययन की बत्तीसगाथासयगडांगसूत्र७४ ७ ५६ सूय प्र २३ २ केदुसरे अकेदूसरेउकी वत्तासदाप तथा याठ ६७ ७ २३ अनुसू १५१टी ,विशे गाइEE गुण सूत्र के
टी, गा २८७.२८८पीठिका बत्तीस दोष वन्दना के ६६६ ७ ३८
प्राव ह भगा १२०७-११ ५४३,उ.३गा ४४७१-६४,
प्रव द्वा २गा १५०-१७३ बत्तीस दोष सामायिक के १७० ७ ४३
शिना० बत्तीस योग संग्रह १६५ ७ १६
उत्तम ३१,प्रश्न धर्मद्वार५ सू २८,मम ३२, याव.ह अ४ गा. १२७-४७८ पृ.६६३