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(१०) ___आपकी सब से बड़ी विशेषता यह है कि आप स्वनिर्मित हैं। श्राप सदा स्वावलम्बी, साहसी, अध्यवसायशील एवं कर्मठ रहे हैं। सभी प्रकार से सम्पन्न होकर भी आप सर्वथा निरभिमान हैं। सादा जीवन और उच्च विचार' इस महान् सिद्धान्त को आपने जीवन में कार्य रूप दिया है। आपका चरित्र पवित्र एवं अनुकरणीय है।
आप में परमहंसों का सा त्याग, साधुओं का सा कर्मसंन्यास और चीरों की सी कर्मनिष्ठा है। आपने क्या नहीं किया और क्या नहीं पाया परन्तु सांसारिक विभूति के मोह बन्धन में आपने अपने को कभी नहीं बाँधा । भापके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर जैन गुरुकुल शिक्षण संघ, ब्यावर ने आपको 'धर्य भूपण' की उपाधि से विभूपित किया है। यह उपाधि सब तरह से आप जैसे महापुरुष को शोभा देती है। हमारी परमात्मा से यही प्रार्थना है कि भापचिरायु हो।
है
बीकानेर (राजपूताना)
। भादवा सुद ७ वि० सं० २०.१ ।
ता० २६-७-४४ ई०
रोशनलाल जैन
बी.ए., एल एल.वी., न्याय-फाव्य-सिद्धान्ततीर्थ, विशारद,