________________
(११) श्रीमान् सेठ धर्मचन्दजी का वंश श्रीमान् सेठ धर्मचन्दनी के चार पुत्र और पाँच पुत्रियाँ हुई। उनके नाम-श्रीप्रतापचन्दजी, श्रीअगरचन्दनी, श्रीभैरोंदानजी, श्री हजारीमलजी, चॉदाबाई, घमावाई, पन्नीबाई, मीराबाई ओर टुगीबाई । श्रीमान् प्रतापचन्दजी के तीन पुत्रियाँ और तीन पुत्र हुए। उनके नाम-तख्खुवाई, सुगनीबाई, मानबाई । सुगनचन्दजी, हीरालालजी, चनणमलजी । इन तीनों के कोई सतान न हुई। इन तीनों का तरुणावस्था में ही स्वर्गवास होगया । श्रीमान् चनणमलजो की धर्मपत्नी अभी मौजद है। उन्होंने श्रीमान् जेठमलजी सेठिया के ज्येष्ठ पुत्र श्री माणकचन्दजी को गोद लिया।
श्रीमान् अगरचन्दजी के कोई सन्तान न हुई । उन्होंने अपने लघुभ्राता श्रीमान् भैरोदानजी के ज्येष्ठ पुत्र श्री जेठमलजी को गोद लिया।
श्रीमान् भैरोंदानजी के ६ पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई। वे इस प्रकार हैं-१वसंतकुंवर, २जेठमलजी, ३पानमलजी,४ लहरचन्दजी, ५उदयचन्दजी, ६जुगराजजी, ज्ञानपालजी, ८और मोहिनीबाई। संवत् १६६६ मिति काती मुदह को वसन्तकुंवर बाई का स्वर्गवास हो गया। उनके दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ हैं।
श्रीमान् जेठमलनी के चार पुत्र और एक पुत्री हुई। उनके नाम-माणक चन्दजी, केशरीचन्दजी, मोहनलाल, जसकरण और स्वर्णलता । १९६४ में केवल आठ वर्ष की अवस्था में ही जसकरण का स्वर्गवास हो गया। भी माणकचन्दजो के इस समय एक पुत्र कुसुमकुमार भोर एक पुत्री आशालता है।