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परिवार की दृष्टि से सेठ सा० जैसे भाग्यशाली विरले ही मिलते हैं। आप के पाँच पुत्र हैं। सभी शिक्षित, संस्कृत एवं व्यापारकुशल हैं। सभी जुदे किये हुए हैं एवं जुदे २ व्यापार व्यवसाय में लगे हुए हैं। पाँचों पुत्र सेठजी के श्राज्ञानुवर्ती हैं एवं सभी भाइयों में परस्पर सराहनीय प्रेम है। यही नहीं आपके छः पौत्र,दो प्रपौत्र, दो पौत्री भौर दो प्रपौत्री हैं। सेठजी के दो पुत्रियों में से चोटी पुत्री मौजूद है एवं तीन दोहिते और पाँच दोहितियाँ हैं।
सेठजी सफल व्यापारी, समाज और राज्य में प्रतिष्ठा प्राप्त,बड़े परिवार के नेता एवं सम्पन्न व्यक्ति हैं। आप दानवीर और परोपकारपरायण हैं। धर्म और परोपकार के कार्यों में आपने उदारता के साथ धन ही नहीं बहाया किन्तु तन और मन का योग भी भापने दिया है। बचपन में माता और बड़ी बहिनों से धार्मिक संस्कार प्राप्त करने वाले एवं धर्मस्थान में शिक्षा का श्रीगणेश करने वाले सेठ साहेव की प्रवृत्ति सांसारिक कार्यों के बीच रहते हुए भी सदा धार्मिक रही है। सांसारिक वैभव में जलकमलवत् निर्लिप्त रह कर आपने नाम से ही नहीं,कर्म से भी धर्मचन्द का पुत्र होना सिद्ध किया है। मापने बचपन में ही श्री हुक्मीचन्द जी महाराज की सम्प-, दाय के मुनि श्री केवलचन्दजी महाराज से धर्म श्रद्धा ग्रहण की थी। आप गुणों के ही पुजारी हैं। पंच महाव्रतधारी निर्मल आचारवाले सभी साधु आपके लिये पूज्य हैं । आपने अपने जीवन में कभी चाय,भंग,तमाखू या अफीम का सेवन नहीं किया । सात व्यसनों का आपके त्याग है तथा रात्रिभोजन का भी आपके नियम है। मापने श्रावक के वारद व्रत धारण किये हैं और जीवन के पिछले वर्षों में आपने शीलवत भी धारण किया है। ग्रहण किये हुए त्याग प्रत्याख्यान आप दृढता के साथ पालन करते रहे हैं।