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श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह, छठा भाग ७१ जल लगा रहने पर उससे आहार न लेना चाहिए । ऐसे हाथ आदि से आहार लेना शवल दोप है।
(समवायांग २१ वा समवाय) (दशाश्रुतत्कन्ध दशा २) ६१४-विद्यमान पदार्थ की अनुपलब्धि
के इक्कीस कारण इक्कीम कारणों से विद्यमान सद् पदार्थ का भी ज्ञान नहीं होता । वे नीचे लिखे अनुसार हैं
(१) बहुत दूर होने से विद्यमान स्वर्ग नरक आदि पदार्थों का ज्ञान नहीं होता।
(२) अति समीप होने से भी पदार्य दिखाई नहीं देते, जैसे अाँख में अंजन, पलक वगैरह ।
(३) बहुत मूक्ष्म होने से भी पदार्थों का ज्ञान नहीं होता, जैसे परमाणु आदि ।
(४) मन की अस्थिरता से यानी मन के दूसरे विषयों में मग्न रहने मे पदार्थों का ज्ञान नहीं होता । जैसे कामादि से अस्थिर चित्त बाला पुरुष प्रकाश में रहे हुए इन्द्रिय सम्बद्ध पदार्थ को भी नहीं देखता और इन्द्रिय के किसी एक विषय में आसक्त पुरुप दूसरे इन्द्रिय विषय को सामने प्रकाश में रहते हुए भी नहीं देखता।
(५) इन्द्रिय की अपटुता से अर्थात् अपने विषयों को ग्रहण करने की शक्ति का अभाव होने से भी पदार्थों का ज्ञान नहीं होता, जैसे अन्वे ओर बहरे प्राणी विद्यमान रूप एवं शब्दों को ग्रहण नहीं करते।
() त्रुद्धि की मन्दता के कारण भी पदार्थों का ज्ञान नही होता, मन्दमति शास्त्रों के सूक्ष्म अर्थ को नहीं समझते हैं।
(७) कई पदार्थ ऐसे हैं जिनका ग्रहण करना इन्द्रियों के लिए