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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग
WOne, घा भाग
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को फरमाइयेगा।
जम्बू ग्वामी की विनय भक्ति और उनकी इच्छा को देख कर सुधर्मा स्वामी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने जम्बु ग्वामी के प्रश्न के उत्तर में पुण्य का फल सुख बतलाया और सुख प्राप्ति के उयाय को भाव रूप में नकह कर कथा द्वारा समझाया। वे कथाएं इस प्रकार हैं
(११) सुबाहु कुमार(१२)भद्रनन्दी कुमार (१३)सुजात कुमार (१४) सुवासत्र कुमार (१५) जिनदास कुमार (१६) धनपति कुमार (१७ महाबल कुमार (१८) भद्रनन्दी कुमार (१६)महाचन्द्र कुमार (२०)वरदत्त कुमार।
(११) सुबाहु कुमार की कथा है जम्बू! इसी अचसर्पिणी काल के इसी चौथे बारे में हन्तीशीर्ष नाम का एक नगर था। वह नगर बड़ा ही सुन्दर था।वहाँ के निवासी सब प्रकार से सुखी थे । नगर के वाहर ईशान कोण में पुष्पकरएड नाम का उद्यान था। उसमें कृतवनमालप्रिय नामक पक्ष का यक्षायतन था। ___ हस्तिशीर्ष नगर में अदीनशत्रु राजा राज्य करता था वह सब राजलक्षणों से युक्त तथा राजगुणों से सम्पन्न था। न्याय पूर्वक वह प्रजा का पालन करता था । अदीनशत्रु राजाके धारिणी नाम की पटरानी थी। वह वहत ही सुन्दर और सर्वाङ्ग सम्पन्न थी। धारिणी के अतिरिक्त उसके 888 और भी रानियाँ थीं।
एक समय धारिणी रानी अपने शयनागारमें कोमल शय्या पर सो रही थी। वह नतो गाढ निद्रा में थी और न जाग रही थी। इतने में उसने एक सिंह का स्वप्न देखा। स्वम को देखकर वह जागृत हुई । अपना स्वम पति को सुनाने के लिए वह अदीनशत्रुराजा के भयनागार में गई । राजा ने रत्नजड़ित भद्रासन पर बैठने की