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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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के साथ कामभोगभोगता हुआ आनन्द पूर्वक समय बिताने लगा। : कुछ समय पश्चात् वैश्रमण राजा की मृत्यु हो गई। पुष्पनन्दी राजा बना । वह अपनी माता श्रीदेवी की बहुत ही विनय भक्ति करने लगा। प्रातःकाल आकर प्रणाम करता, शतपाक, सहस्रपाक तेल से मालिश करवाता, फिर सुगन्धित जल स्नान करवाता । माता के भोजन कर लेने पर आप भोजन करता । ऐसा करने से अपने कामभोग में बाधा पड़ती देख कर देवदत्ता ने श्रीदेवी को मार देने का निश्चय किया। एक दिन रात्रि के समय मदिराके नशे में वेभान सोती हुई श्रीदेवी को देख कर देवदत्ता अग्नि में अत्यन्त तपाया हुआ एक लोह दण्ड लाई और एकदम उसकी योनि में प्रक्षेप कर दिया जिससे तत्क्षण उसकी मृत्यु हो गई। श्रीदेवी की द्वासी ने यह सारा कार्य देख लिया और पुष्पनन्दी राजा के पास जाकर निवेदन किया। इसे सुनते ही राजा अत्यन्त कुपित हुआ। सिपाहियों द्वारा पकड़वा कर उल्टी मुश्कों से बन्धवा कर देवदत्ता रानी को शूली चढ़ाने की आज्ञा दी है। हे गौतम! तुमने जिस स्त्री को देखा है वह देवदत्तारानी है। अपने पूर्वकृत कर्मों का फल भोग रही है। यहाँ से काल करके देवदत्ता रानी का जीव रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होगा । मृगापुत्र की तरह संसार परिभ्रमण करेगा। तत्पश्चात् गंगपुर नगर में हंस पक्षी होगा। चिड़ीमार के हाथ से मारा जाकर उसी नगर में एक सेठ के घर पुत्ररूप से जन्म लेगा।दीक्षा लेकर सौधर्म देवलोक में उत्पन्न होगा। वहाँ से महाविदह क्षेत्र में जन्म लेकर संयम स्कीकार करेगा और कर्म क्षय कर मोक्ष जायगा।
(१०) अंजू कुमारी की कथा . । वर्द्धमानपुर के अन्दर विजय मित्र नाम का राजा राज्य करता