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श्री सेठिया जैनग्रन्थमाला
काल तुम अपने दोनों पतियों को दो गाँवों में भेज देना। एक को पूर्व दिशा के अमुक गाँव में और दूसरे को पश्चिम दिशा के अमुक गाँव में भेजना । उन्हें यह भी कह देना कि कल शाम को ही वे दोनों वापिस लौट आचें।
दोनों भाइयों में से एक पर स्त्री का अधिक प्रेम था और दूसरे पर कुछ कम । इसलिये उसने अपने विशेष प्रिय पति को पश्चिम की तरफ मेजा और दूसरे को पूर्व की तरफ । पूर्व की तरफ जाने वाले पुरुष के जाते समय और आते समय सूर्य सामने रहता था
और पश्चिम की तरफ जाने वाले के पीठ पीछे । इस पर से मन्त्री ने यह निर्णय किया कि पश्चिम की तरफ भेजा गया पुरुष उस स्त्री को अधिक प्रिय है और पूर्व की तरफ भेजा हुआ उससे कम प्रिय है। मन्त्री ने अपना निर्णय राजा को सुनाया । राजा ने मन्त्री के निर्णय को स्वीकार नहीं किया और कहा कि एक को पूर्व में और दूसरे को पश्चिम में भेजना उसके लिये अनिवार्य था क्योंकि हुक्म ऐसा ही था। इसलिये कौन अधिक प्रिय है और कॉन क्रम, इस बात का निर्णय इससे करो किया जा सकता है। • मन्त्री ने दूसरी बार फिर उस स्त्री के पास आदेश भेजा कि तुम अपने दोनों पतियों को फिर उन्हीं गाँवों को भेजो। मन्त्री के आदेशानुसार स्त्री ने अपने दोनों पतियों को पहले की तरह ही गाँवों में भेज दिया। इसके बाद मन्त्री ने ऐसी व्यवस्था की कि दो आदमी उस स्त्री के पास एक ही साथ पहुँचे। दोनों ने कहा कि तुम्हारे पति रास्ते में अस्वस्थ हो गये हैं। दोनों पतियों के अस्वस्थ होने. के समाचार सुन स्त्री ने एक के लिये, जिस पर कम प्रेम था, कहाये तो सदा ऐसे ही रहा करते हैं। फिर दूसरे के लिए, जिस पर अधिक प्रेम था, कहा-ये बहुत घबरा रहे होंगे। इसलिये पहले उन्हें देख लूँ। यह कह कर वह अपने विशेष प्रिय पति की खबर