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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
घबराया और सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिए । उसने अपनी बुद्धि से एक उपाय सोचा। उसने जूतों की एक बड़ी गठड़ी बांधी। उसे सिर पर धर कर वह रानी के महलों में गया और कहलाया कि आज्ञानुसार दूसरे देश जा रहा हूँ। सिर पर गठडी देख कर रानी ने उससे पूछा-यह क्या है ? उसने कहा-यह जूतों की गठड़ी है । रानी ने कहा-यह क्यों ली है ? उसने कहाइन जूतों को पहनता हुआ जहाँ तक जा सकुंगा जाऊँगा और आप की कीर्ति का खूब विस्तार करूंगा। रानी अपकीर्ति से डर गई
और उसने देशनिकाले के हुक्म को रद्द करवा दिया । भाँड की यह औत्पत्तिकी बुद्धि थी।
(११) गोलक (लाख की गोली)-एक बार किसी चालक के नाक में लाख की गोली फँस गई । बालक को श्वास लेने में कष्ट होने लगा । बालक के माता पिता बहुत चिन्तित हुए। वे उसे एक सुनार के पास ले गये। सुनार ने अपने बुद्धिवल से काम लिया । उसने लोहे की एक पतली शलाका के अग्रमाग को तपा कर सावधानी पूर्वक उसे बालक के नाक में डाला और लाख की गोली को गर्म करके उससे खींच ली । वालक स्वस्थ हो गया। उसके माता पिता बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सुनार को बहुत इनाम दिया। सुनार की यह औत्पत्तिकी बुद्धि थी।
(१२) स्तम्भ-किसी समय एक राजा को अतिशय बुद्धिशाली मन्त्री की आवश्यकता हुई । बुद्धि की परीक्षा करने के लिये राजा ने तालाब के बीच में एक स्तम्भ गड़बा दिया और यह घोपणा करवाई कि जो व्यक्ति तालाब के किनारे पर खड़ा रह कर इस स्तम्भ को रस्सी से बांध देगा उसे राजा की ओर से एक लाख रुपये इनाम में दिये जायेंगे। यह घोषणा सुन कर एक बुद्धिमान पुरूष ने तालाब के किनारे पर लोहे की एक कील गाड़ दी