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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
पर राजा ने फिर वही प्रश्न किया-रोहक ! सोता है या जागता है ? रोहक ने कहा-स्वामिन् ! जागरहा हूँ। राजा ने फिर पूछाक्या सोच रहा है ? रोहा ने कहा-मैं यह सोच रहा हूँ कि गिलहरी का शरीर जितना बड़ा होता है उतनी ही बड़ी पूछ होती है या कम ज्यादा ? रोहक की बात सुन कर राजा स्वयं सोचने लगा। किन्तु जब वह कुछ भी निर्णय न कर सका तब उसने रोहक से पूछा-तू ने क्या निर्णय किया है ? रोहक ने कहा-देव ! दोनों वरावर होते हैं । यह कह कर वह सो गया ।रोहक की बुद्धि का यह तेरहवा उदाहरण हुआ।
पाँच पिता-रात्रि व्यतीत होने पर प्रातःकालीन मंगलमय वाद्य मुन कर राजा जागृत हुआ । उसने रोहक को आवाज दी किन्तु रोहक गाढ़ निद्रा में सोया हुआ था । तब राजा ने अपनी छड़ी से उसके शरीर का स्पर्श किया जिससे वह एक दम जग गया। राजा ने कहा-रोहक क्या सोता है ? रोहक ने कहा- नहीं, मैं जागता हूँ। राजा ने कहा तो फिर बोला क्यों नहीं ? रोहक ने कहा-मैं एक गम्भीर विचार में तल्लीन था । राजा ने पूछाकिस बात पर गम्भीर विचार कर रहा था ? रोहक ने कहा-मैं इस विचार में लगा हुआ था कि आपके कितने पिता है यानी आप कितनों से पैदा हुए हैं ? रोहक के कथन को सुन कर राजा कुछ लज्जित हो गया। थोड़ी देर चुप रह कर राजा ने फिर पूछाअच्छा तो बतला में कितनों से पैदा हुआ हूँ ? रोहक ने कहा आप पॉच से पैदा हुए हैं। राजा ने पूछा-किन किन से ? रोहक ने कहा--एक तो वैश्रवण (कुवेर) से, क्योंकि आप में कुवेर के समान ही दानशक्ति है । दूसरे चाण्डाल से, क्योंकि चैरियों के लिये आप चाण्डाल के समान ही क्रूर हैं। तीसरे धोवी से, क्योंकि जैसे धोवी गीले कपड़े को खूब निचोड़ कर सारा पानी निकाल लेता है उसी