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श्री जैन सिद्धान्त पोल संग्रह, छठा भाग
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हुआ । रोहक की बुद्धि का यह चौथा उदाहरण हुश्श्रा ।
तिल-कुछ दिनों बाद राजा ने तिलों से भरी हुई कुछ गाड़ियाँ उस गांव के लोगों के पास भेजी और कहलाया कि इनमें कितने तिल हैं इसका जल्दी जवाब दो, अधिक देर न लगनी चाहिए ।
राजा का आदेश सुन कर सभी लोग चिन्तित हो गये, उन्हें कोई उपाय न सूझा । रोहक से पूछने पर उसने कहा- तुम सत्र लोग राजा के पास जाओ और कहो-महाराज ! हम गणितज्ञ तो हैं नहीं, जो इन तिलों की संख्या बता सकें। किन्तु आपकी आज्ञा शिरोधार्य करके उपमा से कहते हैं कि श्राकाश में जितने तारे हैं, उनने ही ये तिल हैं। यदि आपको विश्वास न हो तोराजपुरुषों द्वारा निलों की ओर तारों को गिनती करवा लीजिये।
लोगों को गेहक की बात पसन्द आ गई । राजा के पास जाकर उन्होंने वैसा ही उत्तर दिया। सुन कर राजा खुश हुआ। उसने पूछा यह उत्तर किसने बताया है ? लोगों ने उत्तर में रोहक का नाम लिया। रोहक की बुद्धि का यह पांचवॉ उदाहरण हुआ।
वालू-कुछ समय पश्चात् गांव के लोगों के पास यह आज्ञा पहुंची कि तुम्हारे गांव के पास जो नदी है उसकी बालू बहुत बढ़िया है । उस बालू की एक रस्सी बना कर शीघ्र भेज दो।
राजा के उपरोक्त आदेश को सुन कर गांव के लोग बहुत असमञ्जस में पड़े। इस विषय में भी उन्होंने रोहक से पूछारोहक ने कहा-तुम ममी राजा के पास जाकर अर्ज करो स्वामिन् ! हम तो नट हैं, नाचना जानते हैं, रम्सी बनाना हम क्या जाने ? किन्तु
आपकी श्राज्ञा का पालन करना हमाग कर्तव्य है। इसलिये प्रार्थना है कि राजभण्डार बहुत प्राचीन है, उममें बालू की बनी हुई कोई रस्सी हो तो दे दीजिये। हम उसे देख बालू की नई रस्सी चना भेज देंगे। • गांव के लोगों ने राजा के पास जाकर रोहक के.कथनानुसार