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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह छठा भाग १ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm करना चाहिये। उनका जवाब सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ
और संदा वृद्ध पुरुषों को ही अपने पास रखने लगा प्रत्येक विषय में उनकी सलाह लेकर कार्य किया करता था इसलिये थोड़ ही दिनों में उसका यश चारों तरफ फैल गया। यह राजा और वृद्ध पुरुषों की पारिणामिकी बुद्धि थी ।
(नन्दी सूत्र टी) (१७) आमडे (आंवला)-किसी कुम्हार ने एक आदमी को, एक बनावटी आंवला दिया। वह रंग, रूप और आकार में बिलकुल
मिले सरीखा था। उसे लेकर उस आदमी ने सोचा-यह रंग, रूप में तो आपले सरीखा दिखता है किन्तु इसका स्पर्श कठोर मालूम होता है तथा यह अविले फलने की ऋतु भी नहीं है । ऐसा सोचकर उमादमी ने यह समझ लिया कि यह आंवला असली नहीं किन्तु बनावटी है। ... यह उस पुरूप की पारिणामिकी बुद्धि थी।
(अविग.. ६५१) (नन्दी सूत्र टीका ). .(१८) मणि--एक जंगल में एक सर्प रहता था। उसके मस्तक पर मणि थी । वह रात्रि में वृक्षों पर चढ़कर पक्षियों के बच्चों को खाया करता था। एक दिन वह अपने भारी शरीर को न सभाल. सका और वृक्ष से नीचे गिर पड़ा। उसके मस्तक की मणिं वहीं परं रह गई । वृक्ष के नीचे एक कुआं या मणि की प्रभा के कारण उसका सारा जल लाल दिखाई देने लगा। प्रातःकाल कुँए के पास खेलते हुए किसी बालक ने यह आश्चर्य की बात देखी ! वह दौड़ा हुआ अपने वृद्ध पिता के पास आया और उससे सारी बात कहीं। वालक की बात सुनकर वृद्ध कुंए के पास आया। उसने अच्छी तरह दें और कारण का पता लगा कर मणि को प्राप्त कर लिया।