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श्री सेठिया जैन ग्रन्पमाला
कुबेर ने राजगद्दी नल को सौंप दी। भव नल राजा हुमा और दमयन्ती महारानी बनी। न्याय नीतिपूर्वक राज्य करता हुभा राजा नल प्रजा का पुत्रवत् पालन करने लगा। कुछ समय पश्चात् महारानी दमयन्ती की कुति से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम पुष्कर रखा गया। जब राजकुमारपुष्कर युवावस्था को प्राप्त हुआ तो उसे राज्य का भार सौंप कर राजा नल और दमयन्ती ने दीक्षा ले ली।
जिन कर्मों ने नल दमयन्ती को वन वन भटकाया और अनेक कष्टों में डाला, नल और दमयन्ती ने उन्हीं कर्मों के साथ युद्ध करके उनका अन्त करने का निश्चय कर लिया।
कई वर्षों तक शुद्ध संयम का पालन कर नल और दमयन्ती देवलोक में गये। वहाँ से चव कर मनुष्य भव में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त करेंगे।
(१४) पुष्पचूला गङ्गा नदी के सट पर पुष्पभद्र नाम को नगर था। वहॉ पुष्पकेतु राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम पुष्पवती था। उनके दो सन्तान थीं,एक पुत्र और दूसरीपुत्री। पुत्र का नाम पुष्पचूल था और पुत्री का नाम पुष्पचूला।भाई बहिन में परस्पर बहुत स्नेपथा।
पुष्पचूला में जन्म से ही धार्मिक संस्कार जमे हुए थे। सांसारिक भोगविलास उसे अच्छे न लगते थे।
विवाह के बाद उसने दीक्षा ले ली। तपस्या और धर्मध्यान के साथ साथ दूसरों की वैयावच्च में भी वह बहुत रुचि दिखाने लगी। शुद्धभाव से सेवा में लीन रहने के कारण वह सपफ श्रेणी में चढ़ी। उसके घातीफर्म नष्ट हो गए।
अपने उपदेशों से भव्यप्राणियों का कल्याण करती हुई महासती पुष्पचूला ने आयुष्य पूरी होने पर मोक्ष प्राप्त किया।