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मानेन सिमान्त मोम संग्रह, पावां भाग ३३० rxmmmmmwwwmv .mmmmmmmm or m~~~~~~~~~~ शोभा नहीं देता। सीता महासती है । वह मन से भी परपुरुष की इच्छा नहीं करती । सतियों को कष्ट देना ठीक नहीं है। अतः श्राप इस दुष्ट वामनाको हृदय से निकाल दीजिए और शीघ्र ही सीता को वापिस राम के पास पहुंचा दीजिए । रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी रावण को बहुत कुछ समझाया किन्तु रावण तो कामान्ध बना हुआ था। उसने फिसी की बात पर ध्यान न दिया।
राम लक्ष्मण जब वापिस लौट फर झोंपड़ी पर पाये तो उन्होंने वहाँ सीता को न देखा, इससे उन्हें बहुत दुःख हुमा। वे इधर उधर सीता की खोज करने लगे किन्तु सीता का कहीं पता न लगा। सीता की खोज में घूमते हुए राम लक्ष्मण की सुग्रीव से भेट हो गई। सीता की खोज के लिये सुग्रीव ने भी चारों दिशाओं में अपने दूत भेजे । हनुमान् द्वारा सीता की खबर पाकर राम, लक्ष्मण और झग्रीव वहुत बड़ी सेना लेफर लंका गये। अपनी सेना को सज्जित कर रावण भीयुद्ध के लिये तय्यार हुभा।दोनों वरफ की सेनाओं में घमासान युद्ध हुना। कई वीर योद्धा मारे गये। अन्त में वासुदेव लक्ष्मण द्वारा प्रतिवासुदेव रावण मारा गया। राम की विजय हुई। सीता को लेकर राम और लक्ष्मण अयोध्या को लौटे। माता कौशल्या, सुमित्रा और पैकयी को तथा भरत को और सभी नगर निवासियों को बड़ी प्रसन्नता हुई। सभी ने मिल कर राम का राज्याभिषेक किया। न्याय नीतिपूर्वक प्रजा का पुत्रवत् पालन करते हुए राजा राम मुखपूर्वक दिन बिताने लगे।
एक समय रात्रि के अन्तिम भाग में सीता ने एक शुभ स्वमदेखा। उसने अपना नाम राम से कहा । स्वम सन फर राम ने कहादेवि ! तुम्हारी कुति से फिसी वीरपत्र का जन्म होगा । सीता यतना पूर्वक अपने गर्भ का पालन करने लगी।
सीता के सिवाय राम के प्रभावती, रतिनिभा और श्रीदामा