________________
३२२
श्री मेठिया जेन प्रन्यमाला
देख कर उसे भाश्चर्य और प्रसन्नता दोनों हुए। उसने तत्काल वालक को उठा लिया और अपने महल की ओर रवाना हुभा। घरमाकर उसने वह वालक रानी को दे दिया। उसके कोई सन्तान नहीं थी इस लिए ऐसे सुन्दर वालक को प्राप्त कर उसे बहुत खुशी हुई। बालक की प्राप्ति के विषय में राजा और रानी के सिवाय किसी को कुछ भी मालूम न था इस लिये उन दोनों ने विचार किया कि इसे अपना निजी पुत्र होना माहिर करके धूमधाम से इसका जन्मोत्सव मनाना चाहिये । ऐसा विचार कर राजा ने अपने परिजनों में तथा शहर में यह घोषणा करादी कि रानी सगर्भा थी फिन्तु कई कारणों से यह बात अब तक गुप्त रखी गई थी। भाज रानी की कुति से एक पुत्ररत्न का जन्म हुआ है। इस घोषणा को सुन कर प्रजा में श्रानन्द छा गया। विविध प्रकार से खुशियाँ मनाई जाने लगीं। पुत्र जन्मोत्सव मनाफर राजा ने पुत्र का नाम भामण्डल रखा । सुखपूर्वक लालन पालन होने से वह द्वितीया के चन्द्रमा की तरह बढ़ने लगा। क्रमशः बढ़ता हुभाबालक यौवन अवस्था को माप्त हुआ। अब राजा चन्द्रगति को उसके अनुरूप योग्य कन्या खोजने की चिन्ता हुई। ___ अपने यहाँ पुत्र तथा पुत्री के उत्पन्न होने की शुभ सूचना एक दासीद्वारा प्राप्त करके राजा जनक खुश हो ही रहे थे इतने ही में पुत्रहरण की दुःखद घटना घटी। दूसरी दाप्ती द्वारा इस खबर को सुन कर राना की ग्वुशी चिन्ता में परिणत हो गई। उनके हृदय को भारी चोट पहुँची जिससे वे मूछित होकर भूमि पर गिर पड़े। प्रजा में भी अत्यन्त शोक छा गया । शीतल उपचार करने पर राजा की मृा दृर हुई । पुत्री को ही पुत्र मान कर उनीने संतोप किया । जन्मोत्सव मना कर पुत्री का नाम सीता रक्खा । पाँच धायों द्वारा लालन पालन की जाती हुई मीता सुरक्षित वेल की तरह बढ़ने लगी।