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श्री सेठिया जैन मन्यमाला
गोलियाँ खाने से पहले सुलसा ने सोचा-मैं बत्तीस पुत्रों का क्या करूँगी ? यदि शुभ लक्षणों वाला एक ही पुत्र हो तो वही घर को भानन्द से भर देता है। अकेला चाँद रात्रि को प्रकाशित कर देता है किन्तु अनगिनत तारों से कुछ नहीं होता । इसी प्रकार एक ही गुणी पुत्र वंशको उज्ज्वल बना देता है, निगण बहुत से पुत्र भी कुछ नहीं कर सकते। अधिक पुत्रों के होने से धर्मकार्य में भी वाधा पड़ती है। यदि मेरे बत्तीस लक्षणों वाला एक ही पुत्र उत्पन्न हो तो बहुत अच्छा है। यह सोच कर उसने सभी गोलियाँ एक साथ खा लीं। उसके प्रभाव से सुलसा के बत्तीस गर्भ रह गए और धीरे धीरे बढ़ने लगे। सुलसा के उदर में भयङ्कर वेदना होने लगी। उस भसह्य वेदना की शान्ति के लिए सुलसा ने हरिणगवेषी देव का स्मरण किया। देव ने प्रकट होकर सलसा से कहा तुम्हें एक एक गोली खानी चाहिए थी। बत्तीस गोलियों को एक साथ खाने से तुम्हारे एक साथ बत्तीस पुत्रों का जन्म होगा। इन में से किसी एक की मृत्यु होने पर सभी मर जाएंगे। यदि तुम अलग अलग बत्तीस गोलियाँ खाती तो अलग अलग बत्तीस पुत्रों को जन्म देती। ____ सुलसा ने उत्तर दिया- प्रत्येक प्राणी को अपने किए हुए कर्म भोगने ही पड़ते हैं। मापने तो अच्छा ही किया था किन्तु अशुभ कर्मोदय के कारण मुझ से गन्ती हो गई। यदि आप इस वेदना को शान्त कर सकते हों तो प्रयत्न कीजिए नहीं तो मुझे बाँधे हुए कर्म भोगने ही पड़ेंगे।
हरिणगवेषी देव ने मुलसा की वेदना को शान्त कर दिया। समय पूरा होने पर उसने शुभ लक्षणों वाले बत्तीसपुत्रों को जन्म दिया। बड़े धूमधाम से पुत्रों का जन्म महोत्सव मनाया गया। पारहवें दिन सभी के अलग अलग नाम रक्खे गए।