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श्री सेठिया जैन मन्माला
लिए आप दूसरा विवाह कर लीजिए।
नाग सारथी ने उत्तर दिया-मुझे तुम्हारे ही पुत्र की आवश्यकता है। मैं दूसरा विवाह नहीं करना चाहता।
सुलसा ने कहा- सन्तान, धन आदि किसी वस्तु का अभाव अन्तराय फर्म के उदय से होता है। अन्तराय को दूर करने के लिए हमें दान, तप, पञ्चकखाण आदि धर्म कार्य करने चाहिएं । धर्म से सभी बातों की प्राप्ति होती है। धर्य ही कल्पवृक्ष है। धर्म ही चिन्तामणि रत्न तथा कामधेनु है। भोले प्राणी स्वर्ग और मोक्ष के देने वाले धर्म को छोड़ कर इधर उधर भटकते हैं। उत्तम कुल, दीर्घ आयुष्य,स्वस्थ शरीर,पूर्ण इन्द्रियों, अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति, परस्पर प्रेम, गुणों का अनुराग, उत्तम सन्तान तथा ऐश्वर्य आदि सभी बातें धर्म से प्राप्त होती हैं। घर में लक्ष्मी, वाहु में बल, हाथों द्वारा दान, देह में सुन्दरता, मुंह में अमृत के समान मीठी वाणी तथा कीर्ति आदि सभी गुणों का कारण धर्य है। __किसी वस्तु के अपने पास न होने पर खेद न करना चाहिए। उसकी प्राप्ति के लिए शुभ कर्म तथा पुण्य उपार्जन करना चाहिये।
झुलसा की बात सुन कर नाग सारथी की भी धर्म की ओर विशेष रुचि हो गई। दोनों उसी दिन से दान, त्याग और तपस्या
आदि धर्य कार्यों में विशेष अनुराग रखने लगे। ____एक वार देवों की सभा लगी हुई थी। मनुष्यलोक की बात चली।शक्रेन्द्र ने सुलसा की प्रशंसा करते हुए कहा-भरतखण्ड के मगध देश की राजगृही नगरी में नाग नाम का सारथी रहता है। उसकी भार्या सलसा को कभी क्रोध नहीं आता। वह धर्म में ऐसी दृढ़ है कि देव दानव या मनुष्य कोई भी उसे विचलित करने में समर्थनहीं है। इन्द्र द्वारा की गई प्रशंसा को सुन कर हरिणगवेषी देव सलसा की परीक्षा करने के लिए मृत्युलोक में आया । दो