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श्री वैन सिदान्त वोल संग्रह, पांचां भाग
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(७) मृगावती
मृगावती वैशाली के प्रसिद्ध महाराजा चेटक (चेड़ा) की पुत्री थी। उसकी एक बहिन का नाम पद्मावती था जो चम्पा के राजा परिवाहन की रानी थी। सती पद्मावती ने भी अपने उज्ज्वल चरिम द्वारा सोलह सतियों के पवित्र हार को सुशोभित किया है। उस का चरित्र भागे दिया जाएगा।
मृगावती की दूसरी बहिन का नाम त्रिशला था जो महाराज सिद्धार्थ की रानी थी। उसी के गर्भ से चरम तीर्थङ्कर श्रमण भगवान महावीर का जन्म हुआ था। पद्मावती भौर त्रिशलाके सिवाय मृगावती के चार बहनें और थीं।।
मृगावती बहुत सुन्दर, धर्म परायण और गुणवती थी। उस मा विवाह कौशाम्बी के महाराजाशतानीक के साथ हुआ था। अपने गुणों के कारण वह उसकी पटरानी बन गई थी।
फौशाम्बी वाणिज्य, व्यवसाय और कलाकौशल्म के लिए प्रसिद्ध थी। वहाँ बहुत से चित्रकार रहते थे।
एक बार कौशाम्बी का एक चित्रकार चित्रकला में भधिक प्रवीण होने के लिए सातनपुर गया। वहाँ एक बुढ़िया चितेरन के घर ठहर गया। बुढ़िया का लड़का चित्रकला में बहुत निपुण था। कौशाम्बी काचित्रकार वहीं रहकर चित्रकला सीखने लगा।
एक वार बुढ़िया के घर राजपुरुष भाए। वे उसके लड़के के नाम की चिट्ठी लाए थे। मुढ़िया उन्हें देख कर छाती और सिर कूटती हुई जोर जोर से रोने लगी। कौशाम्बी के चित्रकार ने उस से रोने का कारण पूछा । बुढ़िया ने कहा- बेटा ? यहॉ सुरप्रिय नाम के यज्ञ का स्थान है। वहॉ प्रति वर्ष मेला भरता है। उस