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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पांचवा भाग २६३ worrn m. in. ammmm. no rrrrrm www rine www . mar~ ___पने की नौकरी कर ली। भीम ने वल्लभ के नाम से रसोइए की, __ अर्जन ने बृहन्नला के नाम से राजा के अन्तःपुर में नृत्य सिखाने
की, नकुल और सहदेव ने अश्वपालक और गोपालक फी तथा द्रौपदी ने सैरन्ध्री के नाम से रानी के दासीपने की नौकरी कर ली। वे अपने गुप्तवास का समय बिताने लगे।
रानी का भाई कीचक बहुत दुष्ट और दुराचारीया। वह द्रौपदी को वहुत तंग किया करता था। एक बार द्रौपदी भीम के पास गई और उसके पूछने पर कहने लगी
रानी का भाई कीचक मेरे पीछे पड़ा है। एक बार भरी सभा में उसने मेरे लात मारी । युधिष्ठिर महाराज तो क्षमा के सागर ठहरे। उन्होंने कहा-भद्रे तुम्हारी रक्षा पाँच गन्धर्व करेंगे। अब तोकीचक बुरी तरह पीछे पड़ गया है। रानी भी उसे साय दे रही है, वार बार मुझे उसके पास भेजती है।
भीम-तुम उसे किसी स्थान पर मिलने के लिए बुलाओ।
द्रौपदी-कल रात को नई नृत्यशाला में मिलने के लिए उसे कहूँगी किन्तु भूल न हो, नहीं तो बहुत बुरा होगा। __ भीम-भूल कैसे हो सकती है? तुम्हारे स्थान पर मैं सो जाऊँगा और उसके आते ही सारा काम पूरा कर दूंगा।
दूसरे दिन निश्चित समय पर कीचक नई नृत्यशाला में गया । सोए हुए व्यक्ति को सैरन्ध्री समझ कर उसके पास गया । भालिंगन करने के लिए झका । भीम ने उसे अपनी भुजाभों में कस फर ऐसा दबाया कि वह निर्जीव होकर वहीं गिर पड़ा। _ कीचक की मृत्यु का समाचार सारे शहर में फैल गया।रानी ने समझा, यह काम सैरन्ध्री के गन्धों ने किया है। उसने सैरन्ध्री को कीचक के साथ जला डालने का निश्चय किया और कीचक की अर्थी के साथ उसे बॉध दी।