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(२४) मोल नं. पृष्ठ बोल नं०
पृष्ठ ९०० कथा उन्नीस ज्ञाताधर्म ८९० कल्प अठारह साधु के ४०२ कथांग सूत्र की ४२७
८९९ कायोत्सर्ग के उन्नीस
___दोष ९०० कथा जिनदत्त और
४२५ सागरदत्त की
८७५ कुन्ती
४३६ ९०० कथा जिनपाल और
९०० कूर्मज्ञात अध्ययन चौथा ४३७
८७५ कौशल्या जिनरक्ष की
२९८ ४५३ ९०० कथा तेतली पुत्र की ४६२
८४७ क्रियाएं पच्चीस १०६ ९०० कथा धन्नासार्थवाह और
८४७ क्रियाद्वार गुणस्थानों में१०६
८४७ क्षपक विजय चोर की ४३४
८४७ क्षपक श्रेणी ८४ ९०० कथानन्दमणियार की ४६०
८४७ क्षीण कषाय छद्मस्थ ९०० कथा पुण्डरीक और
वीतराग गुणस्थान ८४ कुण्डरीक की ४७२
८९७ क्षुल्लक निम्रन्थीय अ० । ९०० कथा भगवान् मल्लि
की अठारह गाथाएं ४१६ नाथ की ४४४ ९०० कथा मेघ कुमार की ४२९ ९०० कथारोहिणी आदिचार ।
८४५ खण्डरग्ज लोक में ५१ पुत्र वधुश्रो की ४४२ ९०० कथाशैलक राजर्षि की ४३८
८८८ गतागत के अठारह ९०० कथा श्री कृष्ण के अपर
द्वार
३९८ कंफा गमन विषयक ४६६
८६५ गवेषणा के सोलह दोष १६१ ९०० कथा सुसुमा और ८९७ गागाएं अठारह उत्तरा०
चिलाती पुत्र की ४७० छठे अध्य० की निम्रन्था८५८ कर्मभूमि पन्द्रह १४२ चार विषयक ४१६ ८६० कर्मादान पन्द्रह १४४ ८९७ गाथाएं अठारह क्षुल्लक