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________________ ३४९ (२४) मोल नं. पृष्ठ बोल नं० पृष्ठ ९०० कथा उन्नीस ज्ञाताधर्म ८९० कल्प अठारह साधु के ४०२ कथांग सूत्र की ४२७ ८९९ कायोत्सर्ग के उन्नीस ___दोष ९०० कथा जिनदत्त और ४२५ सागरदत्त की ८७५ कुन्ती ४३६ ९०० कथा जिनपाल और ९०० कूर्मज्ञात अध्ययन चौथा ४३७ ८७५ कौशल्या जिनरक्ष की २९८ ४५३ ९०० कथा तेतली पुत्र की ४६२ ८४७ क्रियाएं पच्चीस १०६ ९०० कथा धन्नासार्थवाह और ८४७ क्रियाद्वार गुणस्थानों में१०६ ८४७ क्षपक विजय चोर की ४३४ ८४७ क्षपक श्रेणी ८४ ९०० कथानन्दमणियार की ४६० ८४७ क्षीण कषाय छद्मस्थ ९०० कथा पुण्डरीक और वीतराग गुणस्थान ८४ कुण्डरीक की ४७२ ८९७ क्षुल्लक निम्रन्थीय अ० । ९०० कथा भगवान् मल्लि की अठारह गाथाएं ४१६ नाथ की ४४४ ९०० कथा मेघ कुमार की ४२९ ९०० कथारोहिणी आदिचार । ८४५ खण्डरग्ज लोक में ५१ पुत्र वधुश्रो की ४४२ ९०० कथाशैलक राजर्षि की ४३८ ८८८ गतागत के अठारह ९०० कथा श्री कृष्ण के अपर द्वार ३९८ कंफा गमन विषयक ४६६ ८६५ गवेषणा के सोलह दोष १६१ ९०० कथा सुसुमा और ८९७ गागाएं अठारह उत्तरा० चिलाती पुत्र की ४७० छठे अध्य० की निम्रन्था८५८ कर्मभूमि पन्द्रह १४२ चार विषयक ४१६ ८६० कर्मादान पन्द्रह १४४ ८९७ गाथाएं अठारह क्षुल्लक
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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