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२४८ श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
wwwwwwwwwwwwwww और सर्वदर्शी बन गई। ___ केवलज्ञानी होने के बाद सती चन्दनबाला और सती मृगावती विचरविचरकर जनताका कल्याण करने लगीं। सतीचन्दनवाला की छत्तीस हजार साध्वियों में से एक हजार चार सौ साध्वियों को केवलज्ञान प्राप्त हुआ।
भायुष्य पूरी होने पर एक हजार चार सौसाध्वियाँ शेष कर्मों को खपा कर शुद्ध, बुद्ध और मुक्त हो गई।
चन्दनवाला को धारिणी का उपदेश शान्ति-समर में कभी भूल कर धैर्य नहीं खोना होगा । गज-प्रहार भले हो सिर पर किन्तु नहीं रोना होगा ।। अरि से बदला लेने का मन बीज नहीं बोना होगा। घर में कान तूल देकर फिर तुझे नहीं सोना होगा। देश-दाग को रुधिर-वारि से हर्षित हो धोना होगा । देश-कार्य की भारी गठडी सिर पर रख ढोना होगा । अखे लाल, भवें टेढी कर क्रोध नहीं करना होगा । बलि-वेदी पर तुझे हर्ष से चढ़ कर कट मरना होगा। नश्वर है नर-देह, मौत से कभी नहीं डरना होगा। सत्य-मार्ग को छोड स्वार्थ-पथ पर पैर नहीं घरना होगा। होगी निश्चय जीत धर्म की, यही भाव भरना होगा । मातृभूमि के लिये, हर्ष से जीना या मरना होगा । (पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराज के व्याख्यानों में माए हुए सती चन्दनबाला चरित्र के माधार पर।)