________________
१०६
श्री सेठिया जैन ग्रन्पमाला
और उत्कृष्ट कुछ कम एक करोड़ पूर्व की। छठे गुणस्थान कीजघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोन करोड़ पूर्व । सातवें, भाठवें, नवें, दसवें और ग्यारहवें गुणस्थान की स्थितिजघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है। बारहवें गुणस्थान की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त है। तेरहवें की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोन करोड़ पूर्व है। चौदहवें गुणस्थान की स्थितिमध्यमरीति से यानी न धीरेन जल्दी पॉच लघु अक्षर अर्थात् अ, इ, उ, ऋ,ल के उच्चारण में जितना समय लगता है, उतनी है।
(८)क्रियाद्वार-क्रियाएं पच्चीस हैं-काइया, अहिगरणिया, पाउसिया,परितावणिया, पाणाइवाइया,आरंभिया,परिग्गहिया, मायावत्तिया, मिच्छादसणवत्तिया, अपचक्खाणिया, दिहिया, पुहिया, पाडुच्चिया, सामन्तोवणिवाइया, नेसत्थिया, साहत्थिया, प्राणवणिया, वेयारणिया,अणाभोगवत्तिया,अणवखवत्तिया, पओइया, समुदाणिया, पेज्जवत्तिया, दोसवत्तिया,ईरियावहिया।
पहले और तीसरे गुणस्थान में ईरियावहिया को छोड़ कर शेष २४ क्रियाएं पाई जाती हैं। दूसरे और चौथे गुणस्थान में मिच्छादंसणवत्तिया (मिथ्यादर्शन प्रत्यया) और ईरियावहिया को छोड़ कर शेष २३ । पाँचवें में अविरति और पहले की दो को छोड़ कर २२ । छठे गुणस्थान में उपरोक्त २२ में से परिग्गहवत्तिया को छोड़ कर २१ क्रियाएं पाई जाती हैं। सातवें से नवें तक आरम्भिया को छोड़ कर २० और दसवें गुणस्थान में मायावत्तिया को छोड़ कर १६ क्रियाएं पाई जाती हैं । ग्यारहवें, बारहवें और तेरहवें गुणस्थान में केवल ईरियावहिया क्रिया पाई जाती है। चौदहवें गुणस्थान में कोई क्रिया नहीं होती।
(8)निर्जरा द्वार-पहले से लेकर दसवें गुणस्थान तक आठों कों की निर्जरा होती है। ग्यारहवें और वारहवें गुणस्थान में