________________ gas मोठया जैन ग्रन्थमाना (7) लक्खवाणिज्जे-- लाख, चपड़ा आदि ऐसी चीजें जिन को तैयार करने में उस जीवों की विशेष हिंसा होती है या जो त्रस जीवों से ही बनती है उनका व्यापार करना। , (8) रसवाणिज्जे - मदिरा वगैरह का व्यापार अथोत् कलाल का धन्धा करना। व्यापार करना। (10) केसपाणिज्जे- केश वाले प्राणी अर्थात् दास, दासी, कैश वाले पशु आदि को बेचने का धन्धा करना। (11) जंतपीलणपाफम्मे--तिल और ईख आदि को पानी या कोल्हू में पील कर तेल या रस निकालने का धन्धा करना। महारम्भी यंत्र कलाओं से आजीविका चलाना। (12) निन्छ ण कम्मे- पशुओं को खसी करने ( नपुंसक बनाने ) का धन्धा करना। (13) दवग्गिदावणया- खेत या भूमि साफ करने के लिए जंगलों में आग लगाना। (14) सरदह तलाय सोसण्या-खेती आदि करने के लिए झील, नदी, तालाब आदि को सुखाना | (15) असईजणपोसणया - आजीविका कमाने के लिए दुश्चरित्र स्त्रियों को तथा हिंसक प्राणियों को पालना / भोजन सम्बन्धी पांच अतिचार हैं और कर्म सम्बन्धी पन्द्रह अतिचार (कर्मादान) हैं। इस प्रकार इस सातवें व्रत के कुल बीस अतिचार हैं / श्रावक को चाहिए कि इन्हें जानकर इन का त्याग करे।