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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला के स्थिर है। जम्बूद्वीप, धातकीखएड और आधे पुष्करवर द्वीप (आभ्यन्तर) को मिला कर पढ़ाई द्वीप कहा जाता है। इसी को मनुष्य क्षेत्र कहते हैं। अदाई द्वीप के अन्दर वाले सूर्यादि चल तथा बाहर के स्थिर हैं।
मनुष्य क्षेत्र ४५ लाख योजन लम्बा तथा इतना ही चौड़ा है। इसकी परिधि १४२३०२४६ योजन से कुछ अधिक है। सारे अढाई द्वीप में १३२ चन्द्र, १३२ सूर्य, ११६१६ग्रह,३६६६ नक्षत्र और ८८४०७०० कोडाकोडी तारे हैं।१३२ चन्द्रों की दो पंक्तियाँ हैं। ६६ चन्द्रों की पंक्ति नैऋत्य कोण में है.और ६६ चन्द्रों की पंक्ति ईशान कोण में है। १४२ सूर्यों में भी दो पंक्तियाँ हैं-६६ अनि कोण में और ६६ वायव्य कोण में। सभी ज्योतिषी मेरु के चारों तरफ घूमते रहते हैं। एकत्चन्द्र के परिवार में ८८ ग्रह, २८ नक्षत्र और ६६६७५ कोडाकोड़ी तारे हैं।
पुष्करवरद्वीपको घेरे हुए पुष्करोदधि समुद्र है। इसकी चौड़ाई ३२ लाख योजन तथा परिधि ३६५२८४७० योजन से कुछ अधिक है। इसमें ४६२ चन्द्र, ४६२ सूर्य, ४३२९६ ग्रह,१३७७६ नक्षत्र
और ३२६५१७०० कोडाकोड़ी तारे हैं । इसी प्रकार स्वयम्भूरमण तक असंख्यात द्वीप तथा समुद्रों में असंख्यात ज्योतिषी हैं। वे सभी स्थिर हैं। द्वीप समुद्रों का विशेष विस्तार जीवाभिगम सत्र से जानना चाहिए।
(सूर्यप्रज्ञप्ति १६ वा प्रामृत) ८००- पूर्णिमा बारह
जिस रात में चन्द्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं से उदित होता है उसे पूर्णिमा कहते हैं। एक वर्ष में चारह पूर्णिमाएं होती हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं-
. (१) श्राविष्ठा-श्रावण मास की पूर्णिमा। (२) पौष्टवती--भाद्रपद मास की पूर्णिमा ।