________________
श्री जैन सिद्धान्त वोल सग्रह, चौथा भाग
३०१
हजार नौ सौ पचास कोड़ाकोड़ी तारे हैं।
जम्बूद्वीप को घेरे हुए दो लाख योजन विस्तार वाला लवण समुद्र है । यह वर्तुल चूड़ी के आकार तथा सम चक्रवाल संस्थान वाला है। इसकी परिधि १५८१९३६ योजन है । इसमें ४ चन्द्र, ४ सूर्य,३५२ ग्रह,११२ नक्षत्र और २६७६०० कोडाकोड़ी तारे हैं। __लवण समुद्र के चारों तरफ वर्तुल प्राकार तथा सम चक्रवाल संस्थान 'बाला घातकीखंड है। इसकी चौड़ाई चार लाख योजन है। परिधि ४११०९६० योजन से कुछ अधिक है। इसमें १२ चन्द्र, १२ सूर्य, १०५६ ग्रह,३३७ नक्षत्र और ८०३७०० कोड़ा कोड़ी तारे हैं। ___ धातकीखण्ड को धेरै हुए कालोदधि समुद्र है। यह भी वर्तुल
आकार तथा सम चक्रवाल संस्थान वाला है । इसकी चौड़ाई पाठ लाख योजन तथा परिधि ६१७०६०५ योजन से कुछ अधिक है। इसमें ४२ चन्द्र, ४२ सूर्य, ३६९६ ग्रह, ११७६ नक्षत्र और २८१२६५० कोडाकोड़ी नारे हैं।
कालोदधि समुद्र के चारों तरफ पुष्करवर द्वीप है। यह भी वर्तुल तथा सम चक्रवाल संस्थान वाला है। इसकी चौड़ाई १६ लाख योजन तथा परिधि १९२८४८६३ योजन से कुछ अधिक है। इसमें १४४ चन्द्र, १४४ सूर्य, १२६७२ ग्रह, ४०३२ नक्षत्र
और १६४५४०० कोडाकोड़ी तारे हैं। इनमें से ७२ चन्द्र, ७२ सूर्य, ६३३६ ग्रह, २०१६ नक्षत्र और ४८२२२०० कोडाकोड़ी तारे चल हैं और इतने ही स्थिर हैं । पुष्करवर द्वीप के बीचोबीच मानुष्योचर पर्वत है। इस द्वीप के दो भाग हो जाते हैं-आभ्यन्तर पुष्करवर द्वीप और वाह्य पुष्करवर द्वीप । दोनों की चौड़ाई पाठ आठ लाख योजन की है । प्रत्येक में ७२ सूर्य तथा ७२ चन्द्र आदि हैं। ग्राम्यन्वर पुष्करवर द्वीप के चन्द्र भादि चल तथा वाह्य