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श्री सेठिया जेन प्रन्थमाला
(१३) प्राभृत - चन्द्र की वृद्धि और अपवृद्धि । (१४) प्राभृत - कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष ।
(१५) प्राभृत-- ज्योतिषियों की शीघ्र और मन्द गति । नक्षत्र मास, चन्द्रमास, ॠतुमास और आदित्यमास में चलने वाले नक्षत्रों की संख्या आदि का वर्णन ।
(१६) प्राभृत- उद्योत के लक्षण | (१७) प्रामृत - चन्द्र और सूर्य का व्यवन । (१८) प्राभृत- ज्योतिषियों की ऊँचाई ।
(१६) प्रामृत - चन्द्र और सूर्य की संख्या ।
(२०) प्रामृत - चन्द्र और सूर्य का अनुमान । ज्योतिषियों के भोग की उत्तमता के लिए दृष्टान्त । अठासी ग्रहों के नाम ।
(८) निरयावल्लिया सूत्र
निरयावलिया, कप्पवडंसिया, पुल्फिया, पुष्फचूलिया, वरिहदसा इन पाँच सूत्रों का एक ही समूह है । निरयाबलिया सूत्र कालिक है। इसके दस अध्ययन हैं। यथा-
(१) काली कुमार (२) सुकाली कुमार (३) महाकाली कुमार (४) कृष्ण कुमार (५) सुकृष्ण कुमार (६) महाकृष्ण कुमार (७) वीर कृष्ण कुमार (८) रामकृष्ण कुमार (8) प्रियसेनकृष्ण कुमार (१०) महासेनकृष्ण कुमार |
ये सभी राजगृही के राजा श्रेणिक के पुत्र थे । अपने बड़े भाई कोणिक के साथ संग्राम में युद्ध करने के लिए गए। इनका सामना करने के लिए चेड़ा राजा अठारह देशों के राजाओं को साथ ले कर युद्ध में आया । चेड़ा राजा ने दस दिन में दसों ही कुमारों को मार डाला | कुमारों की मृत्यु का वृत्तान्त सुन कर उनकी माताओं को वैराग्य उत्पन्न हो गया । उन्होंने भगवान् महावीर स्वामी से दीक्षा ग्रहण यात्म कल्याण किया । रथमृसल संग्राम और