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श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह, चौथा भाग २३३ शिलाकण्टक संग्राम में एक करोड़ अस्सी लाख आदमी पारे गये। इनमें से एक देवगति में, एक मनुष्य गति में और शेष सभी नरक और तिर्यञ्च गति में गये । इस संग्राम में कोणिक राजा की जय और चेड़ा राजा की पराजय हुई।
इस अध्ययन में कोणिक राजा का वर्णन विस्तार के साथ दिया गया है। कोणिक का चेलना रानी के गर्भ में आना, चेलनारानी का दोहद (दोहला), दोहले की पूर्ति, कोणिक का जन्म, राजा श्रेणिक की मृत्यु आदि का वर्णन है।
दूसरे अध्ययन से दसवें अध्ययन तक समुच्चय रूप से रथमूसल और शिला कण्टक संग्राम का भगवती सूत्र के अनुसार संक्षेप में वर्णन किया गया है।
(8) कप्पपडसिया सूत्र यह सूत्र कालिक है । इसके दस अध्ययन हैं-- (१) पद्म कुमार (२) महापद्म कुमार (३) भद्र कुमार(४) सुभद्र कुमार (५) पद्मभद्र कुमार (६) पद्मसेन कुमार (७) पद्मगुल्म कुमार (5) नलिनी कुमार (8) आनन्दकुमार (१०) नन्द कुमार । । ये सभी कोणिक राजा के पुत्र काली कुमार के लड़के थे। इनकी माताओं के नाम इन कुमारों के नाम सरीखे ही हैं। सभी ने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी। श्रमण पर्याय का पालन कर ये सभी देवलोक में उत्पन्न हुए। वहाँ से चव कर महाविदेह क्षेत्र में जन्मलेंगे और वहाँ से मुक्ति प्राप्त करेंगे।
(१०) पुफिया सूत्र यह सूत्र कालिक है। इसके दस अध्ययन हैं--
(१) चन्द्र (२) सूर्य (३) शुक्र (8) बहुपुत्रिका देवी (५) पूर्णभद्र (६) मणिभद्र (७) दत्त (८) शिव (९)वल (१०) अनादृष्टि।