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श्री सेठिया जेन प्रम्णमाला
(१) भरत क्षेत्र का अधिकार-जम्बूद्वीप का संस्थान व जगती । द्वारों का अन्तर । भरत क्षेत्र, वैताढ्य पर्वत व ऋषभकूट का वर्णन । (२) काल का अधिकार- उत्सर्पिणी और श्रवसर्पिणी काल का वर्णन | काल का प्रमाण (गणितभाग) | समय से १६८ श्र तक का गणित । पहले, दूसरे तथा तीसरे आरे का वर्णन । भगवान् ऋषभदेव का अधिकार । निर्वाण महोत्सव । चौथे धारे का वर्णन | पाँचवें और छठे चारे का वर्णन । उत्सर्पिणी काल ।
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(३) चक्रवर्त्यधिकार - विनीता नगरी का वर्णन । चक्रवर्ती के शरीर का वर्णन | चक्ररल की उत्पत्ति । दिग्विजय के लिए प्रस्थान । मागधदेव, वरदामदेद, प्रभासदेव और सिन्धु देवी का साधन । वैताढ्य गिरि के देव का साधन । दक्षिण सिन्धु खएड़ पर विजय । तिमिस्र गुफा के द्वारों का खुलना । गुफा प्रवेश, मण्डल लेखन | उन्मना और निमग्नजला नदियों का वर्णन । श्रापात नाम वाले किरात राजाओं पर विजय । चुल्लहिमवन्त पर्वत के देव का धाराधन । ऋषभकूट पर नामलेखन । नवमी तथा बेनवमी की आराधना । गङ्गा देवी का आराधन | खण्डप्रपात गुफा का नृत्य | मालदेव का आराधन । नौ निधियों का आराधन । विनीता नगरी में प्रवेश । राज्यारोहण महोत्सव | चक्रवर्ती की ऋद्धि । शीशमहल में अंगूठी का गिरना, वैराग्य और कैवल्य प्राप्ति ।
( ४ ) क्षेत्र वषधरों का अधिकार - चुम्न हिमवन्त पर्वत, हैमवत क्षेत्र, महाहिमवन्त पर्वत, हरिवर्ष क्षेत्र, निषध पर्वत, महाविदेह क्षेत्र गन्धमादन गजदन्ता पर्वत, उत्तरकुरु क्षेत्र, यमक पर्वत व राजधानी, जम्बूवृक्ष, मान्यवन्त पर्वत कच्छ आदि आठ विजय, सीतामुख च वच्छ यादि आठ विजय। सौमनस गंजदन्त, देवकुरु, विद्युत्प्रभ गजदन्त, पद्म आदि १६ विजय, मेरु पर्वत, नीलवन्त पर्वत, रम्यकवास क्षेत्र, रुकमी पर्वत, हैरण्यवत क्षेत्र, शिखरी पर्वत, ऐरावत क्षेत्र ।