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श्री सेठिया जन प्रन्थमाला
मोहनीय कर्म की स्थिति व विषय | पुरुषवेद की स्थिति, अन्तर, पाँच प्रकार का अल्पबहुत्व, कर्मस्थिति व विषय । नपुंसकवेद के विषय में भी ऊपर लिखी सभी बातें। तीनों वेदों को मिला कर आठ प्रकार का अल्पबहुत्व |
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(३) प्रतिपचि - चार प्रकार के जीव । चारों गतियों के मेद प्रमेद । नरकों के नाम, गौत्र, पिण्ड आदि का वर्णन | नारकों के 1 क्षेत्र आदि की वेदना का दृष्टान्तयुक्त वर्णन । सातों नरकों के पाथड़ों की अलग अलग अवगाहना तथा उनमें रहने वाले नारकी जीवों की स्थिति । नारकी के विषय में विविध वर्णन । तिर्यश्वों के भेद प्रभेद तथा विशेष भेद । अनगार, अवधि तथा लेश्या के लिए प्रश्नोत्तर । एक समय में दो क्रियाएँ मानने वाले अन्यतीर्थिक का मत । अन्तद्वीप के मनुष्यों का अधिकार । कर्मभूमि मनुष्यों का अधिकार । भवनपति देवों का विस्तारपूर्वक वर्णन | वाणव्यन्तर देवों का वर्णन । ज्योतिषी देवों का वर्णन । असंख्यात द्वीप समुद्र व जम्बूद्वीप का वर्णन | जम्बूद्वीप की जगती (परकोटा ) का विस्तार पूर्वक वर्णन | विजयद्वार का वर्णन । विजया राजधानी और विजय देवों का विस्तार | जम्बूद्वीप के शेष तीनों द्वारों का वर्णन । उत्तरकुरु तथा यमक पर्वत । उत्तरकुरु के नीलवन्त आदि द्रहों का वर्णन । कश्चनगिरि पर्वत का वर्णन । जम्बूसुदर्शन वृक्ष का विस्तार | जम्बूद्वीप में चन्द्र, सूर्य आदि की संख्या । लवणसमुद्र का अधिकार | पाताल कलशों का वर्णन । शिखाचित्र व नागदेव का अधिकार | गोस्तूम पर्वत तथा वेलंधर, अनुवेलंधर राजा का वर्णन । सुस्थित देव व गौतमद्वीप का वर्णन | चन्द्र व सूर्य के द्वीप का अधिकार। द्वीप समुद्रों के नाम । ढाई द्वीप से बाहर के ज्योतिषी । लवणसमुद्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर । धातकी खण्ड द्वीप, कालोद समुद्र, पुष्करवर द्वीप और मनुषोत्तर पर्वत का वर्णन । ढाई द्वीप तथा बाहर के ज्योतिषी । मानुषोत्तर पर्वत ।
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