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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
नाम
माता ग्राम विमान पेढालकुमार भद्रा वाणिज्यग्राम सर्वार्थसिद्ध पोट्टिल
हस्तिनापुर , विहल्लकुमार , राजगृही
इन सबकी ऋद्धि सम्पत्ति धन्नाकुमार सरीखी थी ।सभी के ३२, ३२ स्त्रियाँ थीं ।ऐसी ऋद्धि को छोड़ कर सभी ने भगवान् महावीर स्वामी के पास दीक्षा ली। सब का दीक्षा महोत्सव थावचों पुत्र की तरह हुआ । केवल विहल्लकुमार का दीक्षा महोत्सव उसके पिता ने किया सूत्र मे विहल्लकुमार के पिता और माता का नाम नहीं दिया हुआ है। धन्नाकुमार ने नौ महीने और विहल्लकुमार
ने छः महीने दीक्षापयर्याय का पालन किया।बाकी आठों ने बहुत , वर्षों तक दीक्षा पर्याय का पालन किया ।ये सभी सर्वार्थसिद्ध विमान में गए और महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष में जाएंगे।
(१०)प्रश्नव्याकरणसुत्र प्रश्न व्याकरण सूत्र दसवॉश्रङ्गमत्र है। इसके दो श्रुतस्कन्ध हैं। पहले श्रुतस्कन्ध का नाम श्राश्रव द्वार है जिसके पाँच अध्ययन हैं। पाँचों में क्रमशः हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्मचर्य और परिग्रह का वर्णन है। दूसरे श्रुतस्कन्ध का नाम संवर द्वार है, इसके भी पॉच अध्ययन हैं । पाँचों में क्रमशः अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और निष्परिग्रह का वर्णन है।
प्रथम श्रुतस्कन्ध (१) प्राणातिपात अध्यपन-इसमें हिंसा का स्वरूप बतलाया गर्या है कि हिंसा प्राणियों को त्रासकारी और उद्वेगकारी है । हिंसा इस लोक में अपयश की देने वाली है और परमव में नरक और तिर्यश्च गति की देने वाली है। इसका वर्णन ३२ विशेषणों द्वारा