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श्रो सेठिया जंन प्रन्थमाला
का वर्णन है। इन सब का वर्णन जालीकुमार जैसा ही है।नाम आदि में कुछ फरक है वह निम्न प्रकार हैनाम माता पिता दीक्षापर्याय विमान दीर्घसेन धारिणी श्रेणिक सोलहवर्ष विजय महासेन लड्दन्त गुददन्त शुद्धदन्त
जयन्त हलकुमार द्रुमकुमार
अपराजित
वैजयन्त ।
द्रुमसेन
महासेन
सर्वार्थसिद्ध सिंहकुमार " ॥ सिंहसेन , महासिंहसेन " " पुण्यसेन , " "
ये सभी अनुत्तर विमानों से चल कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म , लेंगे और वहाँ से मोक्ष में जायेंगे। .
(३)वर्ग-इसमें दस अध्ययन है। यथा-(१)धना (२) सुनवत्र (३) ऋषिदास (४) पेजकपुत्र (१) रामपुत्र (६) चन्द्रकुमार (७) पौष्ठिकपुत्र (6) पेढालपुत्र (इ) पोट्टिल (१०) विहल कुमार।
काकन्दी नगरी में जितशत्रु राजा राज्य करता था। उस नगरी में भद्रा नाम की एक सार्थवाही रहती थी । उसके पास बहुत ऋद्धि थी। उसके धन्ना नाम का एक पुत्र था । वह बहुत ही सुन्दर ।
और सुरूप था।पांच धायमाताएं (दूध पिलाने वाली. मज्जन कराने वाली, भूषण पहनाने वाली, गोद में खिलाने वाली क्रीड़ा