________________
श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
का नाम दिया जाता हैनाम .
दीक्षा पर्याय
रत्नावली
काली सुकाली
आठ वर्षे नव वर्ष
तेरह वर्षे
कनकावली महाकाली लघुसिंहनिष्क्रीड़ित दस वर्ष कृष्णा महासिंह निष्क्रीडित ग्यारह वर्ष सुकृष्णा । भिक्खु पडिमा बारह वर्ष महाकृष्णा क्षुद्र सर्वतोभद्र वीरकृष्णा महा सर्वतोभद्र
चौदह वर्षे रामकृष्णा भद्रोत्तर पडिमा पन्द्रह वर्ष प्रियसेनकृष्णा मुक्तावली
सोलह वर्ष महासेनकृष्णा आयम्बिल वर्द्धमान सतरह वर्षे
इस प्रकार उग्र तप का आचरण कर अन्त में संलेखना की और केवलज्ञान केवलदर्शन उपार्जन कर मोच पधारीं ।
उपरोक्त १० व्यक्तियों ने जीवन के अन्तिम समय में केवलज्ञान और केवलदर्शन उपार्जन कर मोक्ष पद प्राप्त किया। . (8)अणुत्तरोववाइयदसांग सूत्र
अनुत्तर नाम प्रधान और उपपात नाम जन्म अर्थात् जिनका सर्वश्रेष्ठ देवलोकों में जन्म हुआ है वे अनुत्तरौपपातिक (अणुतरोववाइय) कहलाते हैं । इसी कारण यह सूत्र अनुत्तरौपपातिक कहलाता है। इस सूत्र में ऐसे व्यक्तियों का वर्णन है जो इस संसार में तप संयम आदि शुभ क्रियाओं का आचरण कर अनुत्तर विमानों में उत्पन्न हुए हैं और वहाँ से चव कर- उत्तम कुल में जन्म लेंगे और उसी भव में मोक्ष जायेंगे। इस सूत्र में कुल तीन वर्ग हैं। ..
(१)वर्ग इसमें दस अध्ययन हैं। यथा-(१).जाली (२) मयाली (३) उवयाली (४) पुरुषसेन (५)वारिसेन (६) दीर्घदन्त (७)